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गुरुवार, 08 फ़रवरी, 2007 को 17:29 GMT तक के समाचार

भारत-भूटान के बीच नई मैत्री संधि

भारत और भूटान ने गुरुवार को दो संप्रभुता संपन्न देशों के रुप में नई मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किए जो वर्ष 1949 की संधि का स्थान लेगी.

नई संधि पुरानी संधि का ही परिवर्तित रूप है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नवतेज सरना ने कहा कि नई संधि से दोनों देशों के बीच संबंध और प्रगाढ होंगे.

नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में आयोजित समारोह में इस संधि पर भूटान नरेश जिंग्मे खेसर वांग्चुक और विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने हस्ताक्षर किए.

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे. इससे पहले भूटान नरेश ने भारतीय विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर विचार विमर्श किया.

आजादी के तुरंत बाद दोनों देशों के बीच आठ अगस्त 1949 में दार्जीलिंग में संधि हुई थी. इसके मुताबिक रक्षा और विदेश मामलों में भूटान भारत पर आश्रित था.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सरना ने नई संधि में रक्षा और विदेश नीति के बारे मे प्रावधानों का ब्योरा नहीं देते हुए सिर्फ़ इतना कहा कि पुरानी संधि औपनिवेशिक पृष्ठभूमि में की गई थी.

नई संधि में कूटनीति की आधुनिक भाषा का प्रयोग करते हुए कहा गया है कि दोनों देशों के संबंध घनिष्ठ बने रहेंगे.

दोनों देशों ने अपनी भूमि का इस्तेमाल एक दूसरे के राष्ट्रीय हितों के विरूद्ध नहीं होने देने की वचनबद्धता दोहराई है.

नई संधि से दोनों देशों के बीच एक दूसरे के नागरिकों के साथ बर्ताव और मुक्त आर्थिक सहयोग के पुराने प्रावधान में कोई बदलाव नहीं होगा.

भूटान नरेश ने इससे पहले राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से मुलाक़ात की और भारतीय विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने उनके सम्मान में दोपहर के भोज का आयोजन किया.