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बुधवार, 07 फ़रवरी, 2007 को 13:29 GMT तक के समाचार

मोहनलाल शर्मा
बीबीसी हिंदी, दिल्ली से

भटकना पड़ सकता है भटूरे के लिए

भारत में यदि सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू हो जाता है तो दिल्ली में गरमागरम समोसे बेचने वाले गुप्ता जी के अलावा फुटपाथ पर छोले-भटूरे, पकौड़े, चाउमिन और पराठे वग़ैरा बेचने वाले नदारद हो जाएँगे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दिल्ली की सड़कों पर खाने का ताज़ा सामान बनाकर बेचने की अनुमति नहीं होगी.

दुकानदारों को हिदायत दी गई है कि वे इस तरह का खाने का सामान घर पर तैयार करें और पैकेटों में बंद करके सड़कों पर बेचें.

इस पर एक दुकानदार का कहना है, "पैक करके बेचने से तो धंधा ही चौपट हो जाएगा. इससे रोज़ी-रोटी पर बुरा असर पड़ेगा."

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक खाने-पीने का सामान बेचने वालों के ठिकाने निश्चित किए जाएँगे और वे निर्धारित जगहों पर ही ऐसी सामग्री बेच सकेंगे.

इस निर्णय के बाद सड़कों के फुटपाथ तो खाली हो जाएँगे लेकिन इन दुकानों पर खड़े होकर खाने वालों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

सड़कों पर कम पैसों में खाने वाले लोग अधिकतर मज़दूर होते हैं या फिर वे लोग होते हैं जो दफ़्तर से निकलते ही सामने वाले ठेले पर बन रहे गरमा गरम छोले-भटूरे खाने से बच नहीं कर पाते.

ऐसे लोगों को अब चटख़ारे लेने की जगह कहाँ मिलेगी?

अमल कैसे होगा

अदालत के इस फ़ैसले पर स्वयंसेवी संस्था हेज़ार्ड सेंटर की निदेशक डुनु रॉय कहती हैं, "यह समस्या के समाधान के रूप में तर्कसंगत नहीं है. साथ ही ये सुप्रीम कोर्ट के कार्यक्षेत्र के बाहर है. ये स्ट्रीट वेंडर हैं यानी सड़कों पर काम करने वाले. अगर इन्हें हटाकर आप किसी ज़ोन में डाल देंगे तो इनका व्यावसाय भी कम होगा और ख़रीददारों को भी समस्या होगी."

अदालत के फैसले को लागू कराना दिल्ली नगर निगम यानी एमसीडी और नई दिल्ली नगर पालिका यानी एनडीएमसी का काम है.

इस बारे में पूछे जाने पर दिल्ली नगर निगम की प्रवक्ता दीपा माथुर ने बताया, "इन आदेशों की प्रतियाँ अभी हमारे पास नहीं हैं. जब ये हमारे पास होगी हम उसका अध्ययन करके उसे लागू करने की रणनीति बनाएंगे."

अदालत का फैसला उस नीति के तहत है जिसमें दिल्ली को साफ़-सुथरा बनाया जाना है.