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कसीनो कैपिटल बनता जा रहा है गोवा? | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पंजिम में मंडोवी नदी के किनारे एक बड़े से जहाज़ कारावेला में कसीनो गोवा समाया हुआ है. रात काफी बीत चुकी है, बाहर सड़कें सुनसान हैं लेकिन जहाज़ के अंदर जश्न का माहौल है. जहाज़ की पहली मंज़िल की एक तरफ एक रूसी लड़की बैले डाँस कर रही है. दूसरे किनारे पर एक कैरेबियन गायक दिल खोलकर गा रहा है. बीच में लगी हैं टेबल जिनपर ज़ोर-शोर से खेला जा रहा है. ये है गोवा का अपना लास वेगास. राज्य सरकार जुए के खेल से पर्यटन के विकास के लिए समुद्र में पाँच नए कसीनो खोलने की योजना बनाई है. राज्य के पाँच सितारा होटलों में पहले से ही कई कसीनो मौजूद हैं. और नए कसीनो खुलने के बाद गोवा दक्षिण एशिया का कसीनो कैपिटल यानी जुएबाज़ी का अड्डा बन जाएगा. फिलहाल यह ख़िताब काठमांडू के पास है. बढ़ता चलन कसीनो गोवा के एक उच्च अधिकारी नरेंद्र पुँज बताते हैं, "कसीनो से ज़िले से लेकर केंद्र सरकार तक सभी को फायदे हैं. ये सब इनसे लाइसेंस और टैक्स की शक्ल में पैसे कमाते हैं. सरकार की नज़र में यह सोने के अण्डे देने वाली मुर्गी है." इस खेल में कितनी तेज़ी आई है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छह साल पहले तक कसीनो के लाइसेंस के लिए साढ़े तीन लाख सालाना देना पड़ता था. अब यह राशि बढ़कर पाँच करोड़ सालाना कर दी गई है. गोवा में हर साल 22 लाख पर्यटक आते हैं. इनमें से अधिकतर बजट टूरिस्ट होते हैं इसलिए राज्य सरकार पिछले कुछ वर्षों से पैसे वाले पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है. नए कसीनो का खोला जाना इसी रणनीति का हिस्सा है. इस पूरे कारोबार का दूसरा पहलू यह है कि जुए के इन अड्डों की बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए कुछ राजनीतिक पार्टियों और धार्मिक संस्थाओं ने इसका कड़ा विरोध किया है. विरोध गोवा के प्रभावशाली कैथोलिक चर्च के एक प्रवक्ता फ़ादर लॉयला परेरा कहते हैं, "चर्च कसीनो संस्कृति के ख़िलाफ़ है. इससे गोवावासियों के बीच कई सामाजिक बुराइयाँ फैल सकती हैं. अगर आप विदेशी पर्यटक हैं और यहाँ पर कसीनो में आते हैं तो इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है पर हमें ऐतराज उस वक्त लगेगा जब गोवावासी भी यहाँ आने लगेंगे."
कसीनो गोवा का उद्घाटन छह वर्ष पहले भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुआ था. उस समय मनोहर परिक्कर राज्य के मुख्यमंत्री थे लेकिन आज वो इसका विरोध करते हैं. वो कहते हैं, "मई में होने वाले चुनावों के बाद अगर हम सत्ता में आए तो लाइसेंस पर पुनर्विचार किया जाएगा. कसीनो को देह व्यापार और अपराधीकरण से जोड़ा जाता है." परिक्कर कसीनो को तमाम बुराइयों की जड़ मानते हैं. लेकिन इस विचारधारा से अमरीका में रहने वाले गुजरात के अमित शाह सहमत नहीं हैं. वो जब भी भारत आते हैं, गोवा में जुआ खेलने ज़रूर आते हैं. कोई बुराई नहीं अमित शाह कहते हैं, "मैं हर वर्ष अपने परिवार के साथ यहाँ आता हूँ और यहाँ आकर पूरी थकान दूर हो जाती है. वैसे भी हिंदू धर्म में महाभारत के समय से जुआ का ज़िक्र है और हमारे राजे-रजवाड़े भी जुआ खेलते थे." लखनऊ के आरके वर्मा अपने दो साथियों के साथ कसीनो में आए हुए थे और वहाँ उन्हें बड़ा मज़ा आ रहा था. वो कहते हैं, "फ़िल्मों में कसीनो को ग़लत तरीके से दिखाया जाता है. ये कहना कि कोई माफ़िया इसे कंट्रोल करता है और यहाँ देह व्यापार होता है, ग़लत है." इन सारे तर्कों के बावजूद राज्य में इसका विरोध बढ़ता जा रहा है इसीलिए राज्य सरकार ने नए खोले जाने वाले कसीनो की संख्या को 10 से पाँच करने का फैसला किया है. लेकिन अगर ये पाँच कसीनो भी खुल गए तो गोवा को कसीनो कैपिटल बनने से कोई नहीं रोक सकता है. |
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