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घरेलू हिंसा क़ानून में पहली गिरफ़्तारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत में घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाने संबंधी क़ानून के तहत पहली गिरफ़्तारी हुई है. तमिलनाडु में 47 वर्षीय जोसेफ़ को अपनी पत्नी बेंडिट मैरी के साथ मारपीट करने के आरोप में नए क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है. दोनों सरकारी कर्मचारी हैं. जोसेफ़ राज्य सरकार के एक दफ़्तर में सहायक हैं और मैरी एक सरकारी स्कूल में पढ़ाती हैं. मैरी ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसका पति शराबी है और अक्सर उसके साथ मारपीट करता है और उसकी कमाई जबरदस्ती छीन लेता है. उन्होंने सन् 2004 में भी जोसेफ़ के ख़िलाफ़ पुलिस में उत्पीड़ित करने की शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन स्थानीय पुलिस का कहना है कि उस वक्त जोसेफ़ को समझा बुझा दिया गया था और पत्नी का उत्पीड़न न करने के आश्वासन के बाद मामला बंद कर दिया गया था. लेकिन हाल में मैरी को दीपावली पर भत्ता मिला और जोसेफ़ ने उसे देने को कहा. ऐसा न करने पर उसने मैरी के साथ मारपीट की. इसके बाद मैरी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और पुलिस ने घरेलू हिंसा के नए क़ानून के तहत जोसेफ़ को गिरफ़्तार कर लिया गया. नया क़ानून ग़ौरतलब है कि गुरुवार से घरेलू हिंसा के ख़िलाफ़ क़ानून लागू हुआ है जिसमें महिलाओं को दुर्व्यवहार से सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान है. इसके तहत पत्नी या फिर बिना विवाह किसी पुरुष के साथ रह रही महिला मारपीट, यौन शोषण, आर्थिक शोषण या फिर अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल की परिस्थिति में कार्रवाई कर सकती है. इस क़ानून का उल्लंघन होने की स्थिति में जेल के साथ-साथ जुर्माना भी हो सकता है. महत्वपूर्ण है कि इस क़ानून के तहत मारपीट के अलावा यौन दुर्व्यवहार और अश्लील चित्रों, फ़िल्मों के देखने पर मजबूर करना या फिर गाली देना या अपमान करना शामिल हैं. पत्नी को नौकरी छोड़ने पर मजबूर करना या फिर नौकरी करने से रोकना भी इस क़ानून के दायरे में आता है. इसके अंतर्गत पत्नी को पति के मकान या फ़्लैट में रहने का हक़ होगा फिर ये मकान या फ़्लैट उनके नाम पर हो या नहीं. |
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