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डेटा की चोरी की ख़बर से खलबली | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ब्रिटेन का एक टीवी चैनल भारत की बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिंग यानी बीपीओ कंपनियों से गोपनीय डेटा की चोरी का सनसनीखेज खुलासा गुरुवार को करने जा रहा है. इस ख़बर से भारत के सूचना तकनीक क्षेत्र में खलबली मच गई है. कहा जा रहा है कि इस चैनल का एक रिपोर्टर क़रीब एक साल तक भारतीय बीपीओ कंपनियों में डेटा की सुरक्षा की खामियों की खुफ़िया तौर पर जानकारी लेता रहा. चैनल यह दिखाने की कोशिश करेगा कि रिश्वत देकर भारतीय बीपीओ कंपनियों से डेटा कितनी आसानी से हासिल किया जा सकता है. आईटी क्षेत्र की कंपनियों के संगठन नैसकॉम के अध्यक्ष किरण कार्णिक ने चैनल से कहा है कि वह इस मामले की तह तक पहुँचने में उनकी मदद करे. धोखाधड़ी के इस सनसनीखेज खुलासे से चार अरब डॉलर के भारत में तेजी से उभर रहे इस उद्योग पर विपरीत असर पड़ सकता है. अमरीका और यूरोप की बड़ी बड़ी कंपनियाँ भारत की बीपीओ कंपनियों को अपना काम आउटसोर्स करती हैं. लाखों ग्राहकों के गोपनीय जानकारियाँ इन बीपीओ कंपनियों के पास सुरक्षित रहती हैं. ऐसे में अगर चैनल के ये दावे सही हैं तो भारतीय कंपनियों को भारी नुक़सान झेलना पड़ सकता है. लगभग 30 फीसदी की सालाना दर से बढ़ रहे इस उद्योग का मानना है कि पश्चिमी देशों में भी इस तरह के मामले होते रहते हैं और यह बहुत गंभीर मसला नहीं है. इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि सुरक्षा के अनेक उपायों के बाद भी धोखाधड़ी के ऐसे मामलों को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता. नैसकॉम के अध्यक्ष किरण कार्णिक का कहना है, '' सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है. भारत ने बीपीओ क्षेत्र में खासी प्रतिष्ठा हासिल की है और हम किसी हाल में सुरक्षा पर समझौता नहीं कर सकते हैं.'' | इससे जुड़ी ख़बरें दुख सुख बाँटने की आउटसोर्सिंग16 अगस्त, 2005 | कारोबार 'उच्च शिक्षा 20 प्रतिशत जनता को मिले'26 फ़रवरी, 2006 | भारत और पड़ोस अवीवा 1000 नौकरियाँ भारत ले जाएगी14 सितंबर, 2006 | कारोबार अमरीकी अधिकारियों की आउटसोर्सिंग20 जून, 2005 | कारोबार लौट के हुनरमंद घर को आए01 मई, 2005 | पहला पन्ना इंग्लैंड की परीक्षा कॉपियाँ भारत में 26 अप्रैल, 2005 | कारोबार | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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