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गुरुवार, 28 सितंबर, 2006 को 05:12 GMT तक के समाचार

करज़ई-मुशर्रफ़ एकजुट रहें-अमरीका

अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ और हामिद करज़ई से आपसी मतभेद को दरकिनार कर आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुट रहने की अपील की है.

बुश ने तालेबान लड़ाकों से निपटने को लेकर पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच जारी तनाव को देखते हुए दोनों देशों के राष्ट्रपतियों को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया था.

पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल मुशर्रफ़ और अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति करज़ई एक दूसरे पर तालेबान लड़ाकों को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप लगाते रहे हैं.

ग़ौरतलब है कि दोनों देशों की लगती सीमा पर चरमपंथी सक्रिय हैं. करज़ई का आरोप है कि उनके देश से सटे पाकिस्तानी सीमा में चरमपंथियों को पनाह मिलती है जहाँ से वे अफ़ग़ानिस्तान में हिंसक गतिविधियाँ चलाते हैं.

सकारात्मक संकेत नहीं

वाशिंगटन स्थित बीबीसी संवाददाता जस्टिन वेब का कहना है कि तीनों नेताओं ने एक साथ भोजन का आनंद तो लिया लेकिन करज़ई और जनरल मुशर्रफ़ के बीच आपसी तनाव में कमी आई हो, ऐसा कोई सार्वजनिक संकेत नहीं दिखा.

दोनों नेता बुश के साथ बाहर आए लेकिन उनके बीच बातचीत नहीं हो रही थी और न ही उन्होंने आपस में हाथ मिलाया.

करज़ई-मुशर्रफ़ से मुलाक़ात से ठीक पहले बुश ने पत्रकारों से कहा, "हमारे समक्ष बहुत सारी चुनौतियाँ हैं. इसलिए आज के डिनर पर हमें परस्पर सहयोग करने पर बात करने का मौका मिला है."

आरोप-प्रत्यारोप

करज़ई का कहना है कि तालेबान पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाक़े का उपयोग चरमपंथियों के प्रशिक्षण और अफ़ग़ानिस्तान पर हमले के लिए कर रहा है और पाकिस्तान इसे अनदेखा कर रहा है.

करज़ई ने पाकिस्तान सरकार और क़बायली नेताओं के बीच हाल ही में हुए समझौते की भी निंदा की है.

लेकिन परवेज़ मुशर्रफ़ कहते हैं कि तालेबान से निपटने के लिए यह समझौता बहुत ज़रुरी था.

पाकिस्तान की ओर से पर्याप्त क़दम उठाए जाने की बात कहते हुए मुशर्रफ़ आरोप लगाते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.

उन्होंने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में करज़ई की ओर इशारा करते हुए कहा, " हमारी नीति विफल नहीं हुई है. ये एक बड़ी ग़लतफ़हमी है और जानबूझकर ऐसे आरोप लगाए जा रहें है और वो भी ऐसे व्यक्ति की और से जो अपने कार्यालय से भी बाहर नहीं निकल सकता और सिर्फ काबुल के बारे में ही जानता है.हम इन आरोपो को बिल्कुल स्वीकार नहीं करेंगें."

इस बीच अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है और इस साल हिंसा में तीन हज़ार से ज़्यादा अफ़ग़ान नागरिक मारे गए हैं जो पिछले साल मारे गए लोगों की संख्या से दोगुना है.