गुरुवार, 07 सितंबर, 2006 को 06:28 GMT तक के समाचार
अभिषेक प्रभात
बीबीसी संवाददाता, देहरादून से
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक गुरुवार से देहरादून में शुरू हो गई है. इस बैठक में पार्टी पिछले एक साल की गतिविधियों की समीक्षा कर रही है और आगे की रणनीति तैयार करेगी.
इसे पार्टी की 2007 की शुरुआत में तीन राज्यों में होनेवाले चुनावों की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है.
पिछले दो साल भाजपा के लिए बेहद उथलपुथल भरे रहे हैं. सन् 2004 के आम चुनावों में हार के कारण पार्टी को गहरा धक्का लगा था.
इसके बाद पार्टी में वैचारिक और आंतरिक मतभेद खुलकर सामने आ गए थे. पार्टी जहाँ अपनी दिशा तय करने की कोशिश कर रही थी, वहीं विवादों और विद्रोहों की वजह से इसकी छवि को आघात पहुँचा था.
समस्याएँ
माना जा रहा है कि अपनी समस्याओं के कारण भाजपा को प्रभावी विपक्ष की भूमिका अदा करने में मुश्किलें पेश आ रही हैं. वह कांग्रेस की नेतृत्ववाली केंद्र सरकार को संसद में घेरने में असफल रही है.
जबकि पार्टी के अस्तित्व का ज़्यादातर वक्त विपक्ष की भूमिका अदा करने में बीता है.
इस ऊहापोह की वजह से पार्टी के कार्यकर्ता भ्रमित हैं और खुद पार्टी तय नहीं कर पा रही कि उसे हिंदूवादी नीति अपनानी चाहिए या फिर अल्पसंख्यकों में अपना आधार बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए.
भाजपा नेता अपनी इस बैठक में इन्हीं सब मुद्दों पर चर्चा करेंगे. पार्टी नेताओं का मानना है कि ये बैठक इसलिए अहम है क्योंकि इसमें पार्टी की आगामी चुनावों के लिए रणनीति तय होगी.
इसमें उत्तरांचल और पंजाब जैसे राज्यों के अलावा उत्तर प्रदेश जैसा अहम राज्य भी शामिल है जहाँ से 80 सांसद आते हैं.
दूसरी ओर इस बैठक से भाजपा कार्यकर्ता और समर्थक उम्मीद लगाए हुए हैं कि उनके नेता एक प्रभावी योजना तैयार कर सकेंगे ताकि मतदाताओं और राजनीति पर पार्टी की पकड़ और मज़बूत हो सके.