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असम में संघर्षविराम ख़त्म, कार्रवाई शुरु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत सरकार और असम के अलगाववादी संगठन अल्फ़ा के बीच कुछ हफ़्ते पुराना संघर्षविराम ख़त्म हो गया है और सेना को अल्फ़ा के ख़िलाफ़ कार्रवाई दोबारा शुरु करने का आदेश दिया गया है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि कार्रवाई इसलिए शुरु हो रही है क्योंकि अल्फ़ा 'सॉफ़्ट टारगेट्स' यानि निर्दोष, असहाय लोगों को निशाना बना रही है. सुरक्षाबलों ने अल्फ़ा के ख़िलाफ़ 13 अगस्त से कार्रवाई रोकी हुई थी और इस संघर्षविराम की समयसीमा को चार बार आगे बढ़ाया जा चुका था. बुधवार को संघर्षविराम की अवधि ख़त्म हो गई थी. समाचार एजेंसियों के अनुसार असम के मुख्य सचिव एके कबीलान का कहना था, "हमें सैन्य अभियान दोबारा शुरु करने का आदेश दिया गया है क्योंकि अल्फ़ा ने हिंसा और फ़िरौती की माँग की गतिविधियाँ शुरु कर दी हैं." केंद्र की शर्त, अल्फ़ा की माँग हाल में केंद्र सरकार की असम में संघर्षविराम आगे न बढ़ाने की धमकी के बाद अलगाववादी संगठन अल्फ़ा ने डिगबोई के पास एक चाय बागान के मैनेजर की हत्या कर दी थी. विश्लेषकों का कहना था कि अल्फ़ा ने मैनेजर की हत्या से एक तीख़ा संदेश देने की कोशिश की कि यदि बातचीत उसकी शर्तों पर नहीं होती तो वह बातचीत जारी नहीं रखेगा. उधर केंद्र सरकार चाहती थी कि अल्फ़ा सीधी बातचीत के प्रति लिखित में प्रतिबद्धता जताए. दूसरी ओर अल्फ़ा माँग कर रहा था कि केंद्र सरकार उसके पाँच शीर्ष नेताओं को रिहा करे. केंद्र सरकार और अल्फ़ा के प्रतिनिधियों के बीच पहली बातचीत पिछले साल अक्तूबर में शुरू हुई थी. | इससे जुड़ी ख़बरें 'उल्फ़ा की प्रतिक्रिया सकारात्मक होगी'18 अगस्त, 2006 | भारत और पड़ोस दस दिनों के लिए सैनिक कार्रवाई रुकी13 अगस्त, 2006 | भारत और पड़ोस उल्फ़ा विद्रोहियों ने केंद्र को पत्र लिखा03 अक्तूबर, 2005 | भारत और पड़ोस उल्फ़ा ने बातचीत की पेशकश की07 सितंबर, 2005 | भारत और पड़ोस उल्फ़ा ने शांति प्रस्ताव पर जवाब भेजा01 जुलाई, 2005 | भारत और पड़ोस अल्फ़ा को बिना शर्त बातचीत का न्यौता28 मई, 2005 | भारत और पड़ोस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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