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भारत में संयुक्त बयान पर प्रतिक्रियाएँ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ की ओर से हवाना में जारी किए गए संयुक्त बयान को भारत में विपक्षी दल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बेमतलब बताया है. उन्होंने कहा कि मुंबई में लोकल ट्रेनों में हुए धमाकों और मालेगाँव की घटना के बाद पाकिस्तान ने ऐसा क्या किया है जो भारत के प्रधानमंत्री उनसे फिर से बातचीत शुरू कर रहे हैं. उधर केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामदलों में से एक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरों के सदस्य सीताराम येचुरी ने इसका स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि किसी भी हालत में बातचीत की प्रक्रिया बंद नहीं होनी चाहिए. राजनाथ सिंह ने बीबीसी के मोहनलाल शर्मा को बताया कि बेहतर होता अगर पाकिस्तान को उसके पिछले वर्षों में किए गए वादे याद दिलाए जाते जिसमें उनकी ओर से कहा गया था कि वो सीमापार से आतंकवाद को रोकेंगे. उन्होंने कहा, "अगर पाकिस्तान आतंकवाद की समस्या से निपट पाने में सक्षम नहीं है तो भारत की सरकार को चाहिए कि वो उन्हें सैनिक सहायता तक उपलब्ध करवाने के लिए तैयार रहे." राजनाथ सिंह ने बीबीसी से कहा कि बातचीत के पहले पाकिस्तान की ओर से कुछ न कुछ तो संकेत मिलने चाहिए थे जिससे इस बात के संकेत मिलते कि वो आतंकवाद को ख़त्म करने की ईमानदार कोशिश कर रहा है. अच्छे संकेत वामनेता ने संयुक्त बयान का स्वागत करते हुए बीबीसी को बताया, "इस बयान में दो अच्छी बातें हैं. एक तो यह कि सचिव स्तर पर बातचीत जारी रहेगी और दूसरा यह कि सभी चीजों पर बातचीत होगी. यह काफ़ी अच्छा संकेत है." उन्होंने कहा कि सबसे बेहतर बात तो यह है कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद के मसले पर एकसाथ काम करने की सहमति बनी है और इसके लिए जो रणनीति बनाई गई है वह काफ़ी सकारात्मक पहल है. उन्होंने कहा कि अगर देश के हित की बात है और हम चाहते हैं कि हमारे पड़ोसी देश से हमारे संबंध सुधरें तो उस दिशा में यह एक अच्छी पहल है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अपने राजनीतिक स्वार्थों को ध्यान में रखकर बयान देती है. अगर हम चाहते हैं कि आतंकवादियों द्वारा ज़मीन के इस्तेमाल जैसे मुद्दे पर पाकिस्तान को केवल बयानों के आधार ही नहीं बल्कि वो इसकी ज़िम्मेदारी भी लें, इसके लिए हम उन्हें बाँध कर रखें तो यह प्रक्रिया आगे बढ़ानी होगी. भारत और पाकिस्तान के दोनों नेताओं ने बातचीत के बाद जारी एक बयान में इस बात पर सहमति जताई कि शांति प्रक्रिया हर हाल में जारी रहनी चाहिए और इसका सफल होना दोनों देशों और पूरे क्षेत्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है. | इससे जुड़ी ख़बरें मनमोहन-मुशर्रफ़ संयुक्त बयान17 सितंबर, 2006 | भारत और पड़ोस आतंकवाद पर स्पष्ट रुख़ अपनाएँ: मनमोहन16 सितंबर, 2006 | पहला पन्ना 'भारत-पाक इस मौक़े का फ़ायदा उठाएँ'16 सितंबर, 2006 | भारत और पड़ोस कश्मीर पर बात ज़रूरी:कसूरी16 सितंबर, 2006 | भारत और पड़ोस 'धमाकों से शांति प्रक्रिया मुश्किल हुई'15 जुलाई, 2006 | भारत और पड़ोस पाकिस्तान को प्रधानमंत्री की चेतावनी14 जुलाई, 2006 | भारत और पड़ोस भारत और पाकिस्तान की कश्मीर पर चर्चा 18 जनवरी, 2006 | भारत और पड़ोस कश्मीर अंतरराष्ट्रीय मसला: पाकिस्तान08 जनवरी, 2006 | भारत और पड़ोस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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