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भारत-पाकिस्तान के क़ैदियों की रिहाई | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत और पाकिस्तान की जेलों में सज़ा काट रहे कई लोगों के लिए शुक्रवार का दिन फिर से अपने वतन की मिट्टी पर लौटने का था. दोनों देशों ने अपनी-अपनी जेलों में क़ैद 57 क़ैदियों को रिहा कर दिया है. वर्ष 2004 से दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की प्रक्रिया के तहत क़दम उठाए जा रहे हैं. दोनों ओर से क़ैदियों की रिहाई को भी इसी प्रयास का हिस्सा है. भारत सरकार ने अपनी जेलों में सज़ा पूरी कर चुके 38 पाकिस्तानी क़ैदियों को रिहा कर दिया है जबकि पाकिस्तान ने 19 भारतीय क़ैदियों को वापस हिंदुस्तान लौटने की इजाज़त दी है. दोनों देशों के क़ैदियों ने शुक्रवार को वाघा सीमा पार करके अपने-अपने देश में क़दम रखे. प्रयास ग़ौरतलब है कि ऐसे ही एक प्रयास के तहत सितंबर 2005 में 500 से भी ज़्यादा क़ैदियों को दोनों ओर से रिहा किया गया था. हालाँकि अभी भी सैकड़ों की तादाद में दोनों देशों के क़ैदी सीमा पार की जेलों में सज़ा काट रहे हैं. इनमें ऐसे क़ैदियों की एक बड़ी संख्या उनकी है जो मछुआरे हैं और समुद्र में मछली पकड़ते समय वे किसी तरह दूसरे देश की सीमा में प्रवेश कर गए और वहाँ बंदी बना लिए गए. इस मुद्दे पर पिछले दो वर्षों में दोनों देशों के बीच सचिव स्तर पर होने वाली द्विपक्षीय वार्ताओं में भी चर्चा होती रही है. | इससे जुड़ी ख़बरें सरहद पार से सैकड़ों क़ैदियों की रिहाई12 सितंबर, 2005 | भारत और पड़ोस अमरिंदर का अनुरोध, 21 क़ैदी रिहा हुए17 मार्च, 2005 | भारत और पड़ोस चरख़ी जेल के क़ैदियों से बातचीत27 फ़रवरी, 2006 | भारत और पड़ोस 54 साल जेल के लिए तीन लाख का मुआवज़ा09 जनवरी, 2006 | भारत और पड़ोस हज़ारों क़ैदियों को मुक्तिदाता की प्रतीक्षा23 अक्तूबर, 2005 | भारत और पड़ोस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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