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शुक्रवार, 14 अप्रैल, 2006 को 18:45 GMT तक के समाचार

पाणिनी आनंद
दिल्ली से

आमिर ख़ान ने समर्थन जताया

यह थोड़ा अटपटा सा लगता है लेकिन सच है. शुक्रवार को जब फ़िल्म अभिनेता आमिर ख़ान नर्मदा बचाओ आंदोलन और भोपाल गैस पीड़ितों के समर्थन में दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पहुँचे तो 'कोका कोला, भारत छोड़ो' जैसे नारों से उनका स्वागत किया गया.

नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं और भोपाल गैसकांड के पीड़ितों का एक समूह दिल्ली में पिछले कुछ सप्ताह से धरने पर बैठा है.

नर्मदा नदी के इलाक़ों से आए लोग सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं तो भोपाल गैस हादसे के पीड़ित अपने मुआवज़े के लिए पदयात्रा करके दिल्ली पहुँचे हैं.

पर इन लोगों की तरफ़ मीडिया का इतना ध्यान कभी नहीं गया जितना कि तब गया जब आमिर ख़ान इन लोगों से मिलने पहुँचे.

आमिर ख़ान बताते हैं, "हमारा तो मक़सद भी यही है कि इस तरह मीडिया के माध्यम से देश की सरकार का इस दिशा में ध्यान खींचा जाए और लोगों को न्याय मिले."

उन्होंने कहा, "मैं इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से भी मिलना चाहूँगा और उनसे अनुरोध करुँगा कि किसानों और आदिवासियों के हितों को ध्यान में रखा जाए. उनके पुनर्वास को सही ढंग से पूरा किया जाए."

आमिर के साथ फ़िल्म 'रंग दे बसंती' के निर्देशक राकेश मेहरा, अभिनेता अतुल कुलकर्णी और कुणाल कपूर भी पहुँचे.

'हमारा विज्ञापन करो'

आमिर से पूछा गया कि वह तो कोका-कोला के ब्रांड एंबेसडर हैं, फिर पानी के इस्तेमाल और कॉर्पोरेट समूहों की जवाबदेही जैसे मुद्दों पर विवादित रही कंपनी के लिए विज्ञापन करते हुए इन आंदोलनों का साथ देने क्यों पहुँचे हैं.

इस पर आमिर बोले, "मुझे इस बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है पर मैं कोका-कोला वालों से इस बारे में ज़रूर बात करूँगा और पूरी जानकारी जुटाउँगा."

जब ऐसे नारे लगाने थे तो आमिर को समर्थन में क्यों बुलाया, यह सवाल अभियान के लोगों से पूछा तो जवाब मिला कि किसी को भी अभियान का समर्थन करने से रोका नहीं जा सकता है.

उन्होंने कहा कि कोई भी मुद्दे का समर्थन करना चाहे तो उसका स्वागत है.

मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज़ (पीयूसीएल) की राजस्थान प्रदेश सचिव कविता श्रीवास्तव कहती हैं, "हमने आमिर ख़ान को एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें कहा गया है कि कोका-कोला जवाबदेही से पीछे हटने वाला समूह है और यह कंपनी रोज़ लाखों लीटर पानी बरबाद करती है. ऐसे में उन्हें कोका-कोला की जगह उन लोगों का ब्रांड एंबेसडर बनना चाहिए, जो कि इस तरह के समूहों से पीड़ित हैं."

आमिर ने बताया कि वह अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि इन संगठनों के साथ कितने समय के लिए और किस तरह काम करेंगे पर ऐसे प्रयासों का साथ देना चाहिए, इसे वह बार-बार दोहराते रहे.

आमिर के इस तरह धरना स्थल तक आने के फ़ैसले को कुछ लोग मीडिया में दो गंभीर मुद्दों को जगह मिलने के लिए एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं तो कुछ इसे मध्यमवर्ग की दया भावना का प्रदर्शन भर मानते हैं.