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पहले चरण का मतदान ख़त्म | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत के राज्य पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान ख़त्म हो गया है. पश्चिम बंगाल चुनाव आयोग ने कहा है कि करीब 70 फ़ीसदी लोगों ने मतदान के अधिकार का प्रयोग किया और मतदान आम तौर पर शांतिपूर्ण रहा. माओवादी विद्रोहियों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान के कारण मतदान कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ. विधानसभा की 294 सीटों में से पहले चरण में 45 सीटों के लिए मत डाले गए. पुरुलिया, बांकुड़ा और मिदनापुर ज़िलों में माओवादियों का प्रभाव माना जाता है. 45 में से 21 सीटें मिदनापुर में, 11पुरुलिया में और 13 बांकुड़ा में है. इन ज़िलों में कुल 7700 मतदान केंद्र बनाए गए थे. इस चरण में कुल 227 उम्मीदवारों के भाग्य का फ़ैसला होना है. जिसमें से 200 पुरुष और 27 महिला उम्मीदवार हैं. विधानसभा की 294 सीटों के लिए कुल पाँच चरणों में चुनाव होने जा रहे हैं. पश्चिम बंगाल के इतिहास में पहली बार चुनाव प्रक्रिया एक महीने से ज़्यादा लंबी चलने जा रही है. चुनाव आयोग ने इस बार पश्चिम बंगाल में कई कड़े निर्णय लिए हैं और इसके चलते राज्य में पहली बार चुनाव बड़े फीके से दिख रहे हैं. संवाददाताओं का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस, भाजपा और कांग्रेस के बीच बिखराव की स्थिति है और इसके चलते एक बार फिर अपने गढ़ में वाममोर्चा मज़बूत स्थिति में दिखाई पड़ रही है. पिछले चुनावों में इन 45 सीटों में से 39 सीटों पर वाममोर्चा के उम्मीदवारों ने कब्ज़ा जमाया था. कड़ी सुरक्षा जिन तीन ज़िले जहाँ चुनाव हुए वे हैं मिदनापुर, बांकुड़ा और पुरुलिया.
ये तीनों ही ज़िले नक्सलियों के प्रभाव वाले ज़िले हैं. नक्सलियों का प्रभाव देखते हुए चुनाव आयोग ने राज्य भर में अर्धसैनिक बलों की बड़ी संख्या में तैनाती का फ़ैसला किया था. मतदान की प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई. राज्य के सीपीएम सचिव बिमान बोस ने आरोप लगाया था कि इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती से जनता में भय का वातावरण बनेगा. चुनाव आयोग चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल ने जो फ़ैसले लिए हैं उससे पश्चिम बंगाल का चुनावी रंग इस बार बदला हुआ दिखता है.
एक तो आयोग ने दीवारों पर चुनावी नारे लिखने पर पाबंदी लगा दी और जहाँ दीवारें रंगी भी गईं वहाँ सफेदी पुतवा दी गई. इससे पश्चिम बंगाल का चुनाव एकाएक सूना दिख रहा है. फिर चुनाव के ठीक पहले आयोग ने 12 लाख फ़र्जी मतदाताओं के नाम सूची से हटाए और चुनाव गड़बड़ी रोकने के लिए कई जगह छापे मारे. सत्ताधारी वाम गठबंधन ने चुनाव आयोग के कई निर्णयों पर आपत्ति जताई है लेकिन आयोग ने इन आपत्तियों को किनारे कर चुनाव प्रक्रिया जारी रखी है. | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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