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असम में लगभग 68 प्रतिशत मतदान | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
असम के विधानसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान समाप्त हो गया है. भारतीय चुनाव आयोग के अनुसार प्रारंभिक रिपोर्टों के मुताबिक मतदान लगभग 68 प्रतिशत रहा. इस चरण में 126 में से 65 सीटों के लिए मत डाले गए. इस चरण में मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, विधानसभा स्पीकर पृथ्वी माझी, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष भुवनेश्वर कलिता, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय चक्रवर्ती समेत 515 उम्मीदवार अपना भाग्य आज़मा रहे हैं. उम्मीदवारों में 477 पुरुष उम्मीदवार और 38 महिलाएँ थीं. उम्मीदवारों में 65 उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी के, 64 कांग्रेस के, सात सीपीआई के, आठ सीपीएम के, 23 राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के, 54 असम गणपरिषद के और 294 निर्दलीय हैं. शुरुआत में मतदान धीमा रहा लेकिन जब दोपहर में बारिश रुकी तो राज्य में मतदान में तेज़ी आई. राज्य में पहली बार इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल हुआ. कुछ जगह उदासीनता बीबीसी संवाददाता सुबीर भौमिक जब नैली पहुँचे, जहाँ 1983 के विधानसभा चुनावों के दौरान 1600 मुस्लमान मारे गए थे, तो उन्होंने लोगों में चुनावों के बारे में ज़्यादा उत्साह नहीं पाया. नैली में एक बीमा एजेंट कौश्लय पेटर ने उन्हें बताया, "लोगों को अपनी रोज़ी रोटी के मुद्दों में दिलचस्पी है. वे जानना चाहते हैं कि असम में शांति प्रक्रिया का क्या बनेगा. उन्हें चुनावों में कौन हारेगा और कौन जीतेगा, इसमें दिलचस्पी नहीं है." नैली में एक शिक्षक मुक्सुदुर रहमान का कहना था, "तब लालुंग जनजाती के लोगों ने हम पर हमला किया था लेकिन अब हम उनके साथ शांति में रहते हैं. केवल यही उम्मीद है कि फिर कभी वैसे दिन दोबारा न आएँ." कड़ी सुरक्षा असम में विधानसभा चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसकी सीमाएँ बांग्लादेश और भूटान से तो मिलती हैं, लेकिन पिछले कई सालों से अलगाववादी हिंसा का शिकार भी होता रहा है. मतदान के दौरान कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए और मतदान केंद्रों के आस पास हज़ारों की संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया. सुबीर भौमिक के अनुसार असम के चुनावों में किसी भी दल की जीत या हार काफ़ी हद तक निर्भर करेगी कि राज्य के मुसलमान और चायबागान में काम करने वालों ने किस तरह वोट डाला. पहले चरण के लिए नौ हज़ार से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए थे ताकि 92 हज़ार से अधिक मतदाता अपने मताधिकारों का इस्तेमाल कर सकें. चुनावों के लिए एक लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी ड्यूटी पर हैं. | इससे जुड़ी ख़बरें 'घुसपैठ के मामले में कोई दया नहीं'01 अप्रैल, 2006 | भारत और पड़ोस मुठभेड़ में शीर्ष उल्फ़ा नेता की मौत01 अप्रैल, 2006 | भारत और पड़ोस विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई में होंगे01 मार्च, 2006 | भारत और पड़ोस विदेशी नागरिक क़ानून में संशोधन होगा10 फ़रवरी, 2006 | भारत और पड़ोस 'रिहा किए जा सकते हैं असम के विद्रोही'08 फ़रवरी, 2006 | भारत और पड़ोस असम में हिंसा के बाद कर्फ़्यू11 फ़रवरी, 2006 | भारत और पड़ोस हिंसक झड़पों के बाद हड़ताल का आहवान12 फ़रवरी, 2006 | भारत और पड़ोस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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