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सोमवार, 03 अप्रैल, 2006 को 22:35 GMT तक के समाचार
 
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श्रीलंका में 'समय-भेद' ख़त्म होने के आसार
 
श्रीलंका का समय
श्रीलंका के दक्षिणी हिस्से में घड़ियाँ भारत की तुलना में आधे घंटे आगे हैं
श्रीलंका एक ऐसा देश है जो सिर्फ़ युद्ध के कारण नहीं बँटा है बल्कि समय के आधार पर भी बँटा हुआ है.

अधिकृत रुप से तो श्रीलंका ग्रीनिच मान समय यानी जीएमटी से छह घंटे आगे है लेकिन उन इलाक़ों में जहाँ तमिल विद्रोहियों का कब्ज़ा है यह अंतर साढ़े पाँच घंटे का है ठीक वैसा ही जैसा कि भारत में होता है.

लेकिन अब कोशिश हो रही है कि इस अंतर को ख़त्म किया जाए और सारी घडियाँ एक ही समय पर चलें.

यदि यह संभव हो सका तो 14 अप्रैल को तमिल और सिंहला नववर्ष के साथ परिवर्तन हो जाएगा और पूरा देश तमिल विद्रोहियों की घड़ियों के साथ अपनी घड़ियाँ मिला लेगा.

और अगर ये हो जाता है तो पिछले दस सालों में श्रीलंका में ये तीसरी बार होगा जब अधिकृत रुप से टाइम ज़ोन बदलेगा. इसके बाद श्रीलंका का टाइम ज़ोन वही होगा जो 1996 में हुआ करता था.

वहाँ के कुछ बौद्ध साधु इस संभावित परिवर्तन को अच्छा मानते हैं क्योंकि श्रीलंका का पहले वाला समय उनके कर्मकांड के हिसाब से सुविधाजनक है.

वे मानते हैं कि टाइम ज़ोन बदलने की वजह से ही पिछले दस साल देश के लिए अच्छे नहीं रहे.

समय चक्र

वर्ष 1996 में जब समय चक्र को आगे बढ़ाया गया तो इसके कारण बेहद व्यावहारिक थे. शाम को रोशनी थोड़ी ज़्यादा हो जिससे कि बिजली बच सके.

एक बौद्ध साधु
ज्ञानाविमाला मानते हैं कि सुनामी कई प्राकृतिक विपदाएँ टाइम ज़ोन के कारण आईं

पहले तो घड़ियों को एक घंटा आगे बढ़ाया गया लेकिन बाद में उसे आधे घंटे आगे रखा गया. यानी ग्रीनिच मान समय से छह घंटे आगे.

लेकिन अब माना जा रहा है कि पूरा देश उसी समय को मानेगा जिसे भारत मानता है, ग्रीनिच मान समय से साढ़े पाँच घंटे आगे.

श्रीलंका के उद्योग और विकास मंत्री रोहिता बोगोल्लागामा का मानना है कि इस परिवर्तन से एक फ़ायदा यह होगा कि श्रीलंका अपने सबसे बड़े व्यावसायिक भागीदार (भारत) के साथ एक ही समय चक्र में रहेगा.

वे मानते हैं, "यह परिवर्तन हमारे स्कूलों, बच्चों और कामगारों के लिए बहुत मायने रखता है."

लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी लोग इससे सहमत हैं.

श्रीलंका को ही पिछले पचास सालों से अपना घर बना चुके विज्ञानकथा लेखक ऑर्थर सी क्लॉर्क कहते हैं कि आधे घंटे पीछे लौटना मूर्खता होगी.

आर्थर सी क्लार्क
आर्थर सी क्लार्क कहते हैं कि दुनिया को बताने में दिक्क़त होती है कि आख़िर आप किस टाइम ज़ोन में हैं

वे बौद्ध साधु की बातों पर बहस को बेमानी मानते हैं और कहते हैं कि धर्म पर बहस करना ही भ्रामक है.

इस पूरे विवाद को तमिल विद्रोही दिलचस्पी के साथ देख रहे हैं, जिनके कब्ज़े में उत्तर और पूर्व का बड़ा हिस्सा है.

1996 में उन्होंने अपनी घड़ियाँ फिर से मिलाने से इंकार कर दिया था और अब दक्षिणी श्रीलंका एक बार फिर अपनी घड़ियाँ मिलाने को तैयार बैठा है.

कम से कम एक मुद्दा तो है जिसमें तमिल विद्रोही और सिंहला एकमत होने को तैयार हैं.

श्रीलंका में घड़ियों में तो समय बदल रहा है, लोगों के जीवन में समय कब बदलेगा यह घड़ियाँ तो नहीं ही बता सकतीं.

 
 
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