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नक्सली हिंसा कम होने का दावा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत सरकार का दावा है कि इस वर्ष नक्सली हमलों में मरने वालों की संख्या बढ़ी नहीं बल्कि कम हुई है. नक्सल प्रभावित राज्यों के वरिष्ठ पुलिस और सचिव स्तर के अधिकारियों की दिल्ली में हुई बैठक के बाद जानकारी दी गई कि अगर छत्तीसगढ़ को अलग रखा जाए तो नक्सली हमलों में मरने वालों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में कम हुई है. केंद्रीय गृह सचिव वीके दुग्गल ने बताया कि जहाँ पिछले साल नक्सली हमलों के 378 हादसे हुए थे, इस वर्ष ये संख्या गिरकर 229 हो गई और मरने वालों की संख्या 111 से 52 पर जा पहुँची है. 'जन आंदोलन' छत्तीसगढ़ के बारे में सरकार का कहना है कि वहाँ एक 'जन आन्दोलन' चल रहा है, इसलिए मरने वालों की संख्या बढ़ी है. तो क्या आम जनता की इन परिस्थितियों में सुरक्षा नहीं कर पा रही राज्य सरकारों को केन्द्र सरकार ने इस मामले में ज़रा धीमे चलने की सलाह दी है? गृह सचिव वीके दुग्गल कहते हैं, "लोगों में जोश है और वे नक्सलियों से लोहा लेना चाहते हैं, ऐसे में मरने वालों की संख्या बढ़ेगी ही. लेकिन हम लोगों को पूरा समर्थन दे रहे हैं. 'सलवा जुडुम' जैसे जन आंदोलन होने चाहिए." सरकार भले ही कहे कि हादसे और मृतकों की संख्या कम हुई है, नक्सलियों ने पिछले दिनों ट्रेनों पर हमले, और उन्हें हाईजैक करने के नए तरीक़े शुरू किए हैं. इससे निबटने के लिए सरकार ने चार सूत्री कार्य सूची तैयार की है, जिसमें रेलवे पुलिस बल को नए सिरे से प्रशिक्षण और ख़ुफिया जानकारी के बेहतर आदान-प्रदान का भी इंतज़ाम है. नक्सल प्रभावित राज्यों में प्रति व्यक्ति पुलिस की उपस्थिति राष्ट्रीय अनुपात से कहीं कम है जो दर्शाता है कि सरकार इसे लेकर कितनी गंभीर है. सरकार ने यह स्वीकार किया है कि कई राज्यों जैसे बिहार में 17 हज़ार रिक्त स्थान हैं और झारखण्ड में कुछ समय पहले तक 12 हज़ार थे. नेपाल से सहायता? तो सवाल उठता है कि क्या नक्सलियों को नेपाल में माओवादियों से सहायता मिल रही है. जहाँ अनौपचारिक स्तर पर यह अक्सर कहा जाता रहा है कि नेपाल से खुली सीमा चिन्ता का विषय है, इस बैठक में गृह सचिव ने बहुत नाप-तौल कर ही बात नहीं की बल्कि इस संपर्क की बातों को महज़ अटकल ही बताया. इस बार एक चीज़ पिछली कई बार से अलग थी और वो थी गृह सचिव तक का यह स्वीकार करना कि समस्या सिर्फ़ पुलिस कार्रवाई से जुड़ी नहीं है बल्कि ज़मीन पर लोगों की ख़राब आर्थिक स्थिति और तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था से एक बड़े तबके का सरोकार न होना मामले को गंभीर बना रहा है. | इससे जुड़ी ख़बरें छत्तीसगढ़ में विस्फोट, 13 की मौत25 मार्च, 2006 | भारत और पड़ोस उड़ीसा में जेल पर भारी नक्सली हमला24 मार्च, 2006 | भारत और पड़ोस दंतेवाड़ा में नक्सली हमले, छह मरे06 मार्च, 2006 | भारत और पड़ोस नक्सली हमले पर संसद में हंगामा01 मार्च, 2006 | भारत और पड़ोस इंटरनेट लिंक्स बीबीसी बाहरी वेबसाइट की विषय सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं है. | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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