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'भारत को परमाणु तकनीक देना उचित' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अमरीका के विदेश उप मंत्री रिचर्ड बाउचर ने न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप एनएसजी के सदस्यों से बातचीत में कहा है कि भारत को परमाणु तकनीक देने की अमरीका की योजना उचित है. अमरीका और एनएसजी के 45 सदस्यों के बीच दो दिन की बैठक हे रही है. रिचर्ड बाउचर ने ये बयान इसी बैठक में दिया. एनएसजी के साथ बैठक में रिचर्ड बाउचर ने कहा कि हालांकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं लेकिन भारत उन देशों की नीतियों पर चल रहा है जिन्होंने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप परमाणु ईंधन और परमाणु तकनीक से जुड़े व्यापारिक मामलों पर नज़र रखता है. अमरीका और भारत के बीच हुआ परमाणु समझौता अगर लागू होना है तो न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप को संधि पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगानी होगी. अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश मार्च में भारत दौरे पर आए थे. इस दौरान भारतीय प्रधानमंत्री और अमरीकी राष्ट्रपति के बीच असैनिक परमाणु सहयोग पर सहमति बनी थी. समझौते के तहत भारत को सैनिक और असैनिक रिएक्टर अलग करने हैं और बदले में अमरीका भारत को परमाणु तकनीक मुहैय करवाएगा. भारत के 65 प्रतिशत यानि 14 रिएक्टर असैनिक हैं और आठ सैनिक. इस सहमति का सैनिक, सामरिक रियेक्टरों से कोई लेना-देना नहीं है. फ़ास्ट-ब्लास्ट रियेक्टर इस सहमति के दायरे से बाहर है और यह भारत के वैज्ञानिकों द्वारा उठाया गया एक अहम मुद्दा था. भारत के असैनिक रियेक्टरों को आईएईए के निरीक्षण में रखा जाएगा. लेकिन परमाणु मुद्दे पर दोनों देशों के बीच औपचारिक समझौता तभी हो पाएगा अगर इसे अमरीकी संसद की मंज़ूरी मिल जाए. |
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