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नक्सली अभियान के ख़िलाफ़ शिकायतें

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के ख़िलाफ़ चल रहे अभियान पर कुछ बुद्धिजीवियों ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि इसमें भाग न लेने वाले लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है.

दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से जुड़े इन बुद्धिजीवियों ने इस अभियान के ख़िलाफ़ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.

बस्तर में चल रहा 'सल्वा जुड़ुम' नाम के इस अभियान का नेतृत्व राज्य के नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा कर रहे हैं लेकिन राज्य सरकार इसे जन अभियान कहती है और इसे तमाम सरकारी सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं.

बस्तर में रहकर काम कर चुके इन बुद्धिजीवियों ने सल्वा जुड़ुम के जनांदोलन कहे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि इसके लिए सरकार सुरक्षाबल और सुविधाएँ उपलब्ध करवा रही है.

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को लिए पत्र में लिखा गया है कि उनकी जानकारी में जो लोग भी नक्सलियों या माओवादियों के ख़िलाफ़ इस अभियान को समर्थन नहीं दे रहे हैं उनके घर जलाए जा रहे हैं और उनकी फसलें नष्ट की जा रही हैं.

पत्र में लिखा गया है, "अब तक 15000 से 30000 के बीच लोगों को उनके घरों से विस्थापित कर दिया गया है और उन्हें सड़कों के किनारे शिविरों में रहने को कहा गया है."

शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि प्रशासन के इस रवैये से परेशान कोई चालीस हज़ार लोगों को पड़ोसी राज्यों में शरण लेनी पड़ी है.

बस्तर के आदिवासियों की अद्वितीय संस्कृति को ख़तरा बताते हुए पत्र में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अपील की गई है कि इसे तत्काल रोककर माओवादियों से बातचीत की शुरुआत की जाए.