शनिवार, 11 फ़रवरी, 2006 को 13:59 GMT तक के समाचार
रियाज़ सुहैल
उमरकोट से
थरपारकर के ठाकुर आज भी अपनी पुरानी परंपरा के अनुसार जीवन बिता रहे हैं.
दोनों हाथ बाँधकर सलाम करने से लेकर अपने विशेष लिबास और अंदाज के कारण दूसरे समुदायों से वे एकदम अलग नजर आते हैं.
ठाकुरों ने कई वर्षों तक थरपारकर पर राज किया और अंग्रेजों से युद्ध करते रहे. इनकी बहादुरी के कारनामे आज भी लोककथाओं और गीतों में सुरक्षित हैं.
पाकिस्तान और भारत के वजूद में आने से पहले उमरकोट से लेकर जोधपुर-जैसलमेर तक ठाकुरों का राज था और आसपास में रिश्तेदारी थी जो आज तक कायम है मगर सरहदों नें इन्हें बाँट दिया है.
ठाकुर स्वरूप सिंह ने बीबीसी को बताया कि इस क्षेत्र में रहने वाले ठाकुर सोढा हैं जबकि इनकी जाति के 95 प्रतिशत खानदान भारत में हैं.
उन्होंने बताया कि "सोढा जाति के ठाकुर न तो अपने गोत्र में शादी नहीं कर सकते हैं."
स्वरूप सिंह ने बताया कि "हम राठौर और भाटी ठाकुरों में रिश्ते देते और लेते हैं इसलिए हमें आज भी शादी के लिए भारत जाना पड़ता है."
ठाकुर कड़े मिजाज के समझे जाते हैं और इनके बारे में विख्यात है कि वे अपनी बेटी की ससुराल का पानी पीना भी अपनी शान के ख़िलाफ़ समझते हैं लेकिन यहां वह सीमा पार ब्याही अपनी बहन और बेटियों से मिलने को तरसते हैं.
स्वरूप सिंह ने बताया कि इनकी बहन की शादी सोलह साल पहले राजस्थान में हुई थी उसके बाद वह आज तक उससे मिल नहीं सके हैं.
रेल संपर्क
खोखरापार सीमा खुलने की घोषणा के बाद थर के ठाकुरों में सबसे अधिक प्रसन्नता देखी जाती है लेकिन भारत सरकार की ओर से सीमा के क़रीब के लोंगों को वीज़ा नहीं देने की घोषणा ने उन्हें उदास कर दिया है.
जगमाल सिंह बताते हैं कि हमारी रिश्तेदारियाँ जोधपुर, बाड़मेर और जैसलमेर में हैं जो सभी सीमावर्ती क्षेत्र हैं. इस फैसले से उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएँगी.
रघुवीर सिंह सोढा के अनुसार ठाकुरों में जो ग़रीब तबक़े से संबंध रखते हैं उनके लिए भारत जाना और वहां रिश्तेदारी करना महंगा पड़ता है मगर इसके अतिरिक्त कोई उपाय नहीं है.
उन्होंने बताया कि "पहले भारतीय वीज़ा के लिए इस्लामाबाद में चक्कर लगाना पड़ता है इसके बाद वाघा सीमा से होकर जाना पड़ता है जिसमें कई रोज लग जाते हैं. हमें राजस्थान जाना होता है जो यहां से मात्र कुछ घंटों की दूरी पर है मगर हमें कई रोज़ लग जाते हैं."
ठाकुरों के राणा चंद्र सिंह के बेटे और पूर्व सुबाई मंत्री कुंवर हमीर सिंह संतुष्ट हैं और इसे आरंभिक प्रयास मानते हैं.
उन्होंने बताया कि खोखरापार सीमा चालीस साल बंद रही है जबकि वाघा सीमा कुछ समय के लिए बंद की गई थी इसलिए समय बीतने से स्थिति अच्छी होगी.
भारत के पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह के ताज़ा पाकिस्तान भ्रमण के बाद थर के ठाकुरों की उम्मीदें बढ गईं हैं क्योंकि जसवंत सिंह भी उन्हीं की तरह ठाकुर हैं.
हमीर सिंह ने बताया कि वह समय क़रीब है जब वीज़ा कार्यालय भी मीरपुर खास में खुल जाएगा और लोगों का आपस में मिलना-जुलना आसान हो जाएगा.