रविवार, 05 फ़रवरी, 2006 को 09:14 GMT तक के समाचार
भारत के प्रमुख वामपंथी दलों ने ईरान मामले पर केंद्र सरकार के कद़म की आलोचना करते हुए संसद में इस पर बहस कराने की मांग की है.
भारत ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की बैठक में ईरान का मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भेजने के पक्ष में मतदान किया था.
दिल्ली में रविवार को हुई वामदलों की बैठक के बाद एक संयुक्त प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत को शीघ्र ही एक स्वतंत्र विदेश नीति पर काम करना चाहिए और अपने हितों को ध्यान में रखते हुए ही मार्च में ईरान के मसले पर होने वाले मतदान में अपनी भूमिका तय करनी चाहिए.
पत्रकारों को संबोधित करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव प्रकाश कारत ने कहा कि यह भारत के हित में है कि ईरान जैसे देश से संबंध बेहतर बने रहें और इस तरह खाड़ी के देशों में भारतीय हितों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.
उन्होंने ईरान मामले पर भारत सरकार के रुख़ को आड़े हाथों लेते हुए कहा, "वामदल हमेशा से यह कहते रहे हैं कि भारत को अपने हितों के हिसाब से चलना चाहिए न कि ऐसे कुछ देशों के हितों के अनुसार, जो कि ईरान को नुक़सान पहुँचाना चाहते हैं."
'आगे की सुध ले'
वामपंथी पार्टियों की राय में आईएईए की चार फरवरी की बैठक में ईरान मामले को सुरक्षा परिषद के सामने रखने का जो क़दम उठाया गया है, वह आपत्तिजनक है.
प्रकाश कारत ने कहा, "हमें चार फरवरी की बैठक में भारत के रुख़ के बारे में जानकारी थी. हमें पता था कि ऐसा होने वाला है. फिलहाल हम इसे लेकर ज़्यादा विरोध नहीं करने वाले हैं क्योंकि इस बारे में अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है."
उन्होंने बताया, "उससे भी अहम बैठक तो छह मार्च को होनी है जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाना है. इस बैठक में भारत का रुख़ ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे सुरक्षा परिषद की ईरान के ख़िलाफ़ किसी कार्रवाई की मंशा को बल मिले."
वामदलों ने ईरान मामले पर निर्गुट देशों के मत की सराहना की. ग़ौरतलब है कि इसी महीने के आख़िर में भारतीय संसद का बजट सत्र बुलाया जाना है.
वामदलों का कहना है कि भारत के ईरान मामले पर रुख़ के साथ ही देश के लिए एक स्वतंत्र विदेश नीति की ज़रूरत है और उनकी ओर से इस विषय पर संसद के बजट सत्र में बहस करवाने का प्रस्ताव रखा जाएगा.