रविवार, 22 जनवरी, 2006 को 14:06 GMT तक के समाचार
श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने कहा है कि तमिल विद्रोहियों के साथ तत्काल बातचीत की जानी चाहिए.
उनका बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिन बाद नॉर्वे के वार्ताकार श्रीलंका में हिंसा में आई तेज़ी पर लगाम लगाने का प्रयास शुरू करनेवाले हैं.
श्रीलंका में चार वर्ष पहले सरकार और विद्रोहियों के बीच संघर्षविराम का समझौता होने के बाद से पिछले छह हफ़्ते सबसे अधिक हिंसक रहे हैं.
संघर्षविराम को मज़बूत करने पर बातचीत रूकी हुई है क्योंकि दोनों पक्षों के बीच इस बात पर भी सहमति नहीं हो सकी है कि बातचीत कहाँ होगी.
श्रीलंका सरकार का कहना है कि बातचीत 'एशिया में किसी भी जगह' हो सकती है.
मगर तमिल विद्रोही इस बात पर अड़े हैं कि बातचीत नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में होनी चाहिए.
हिंसा
दोनों पक्षों के बीच संघर्षविराम हालाँकि काग़ज़ पर तो क़ायम ही है लेकिन जिस तरह से हिंसा भड़क उठी है उस स्थिति में मध्यस्थों में समझौते को लेकर संदेह पैदा हो गया है.
अब राष्ट्रपति राजपक्षे ने एक बार फिर बातचीत के बारे में अपनी इच्छा प्रकट कर संघर्षविराम के प्रति अपनी वचनबद्धता प्रकट की है.
नॉर्वे के विशेष दूत एरिक सोलेइम सोमवार को श्रीलंका पहुँचनेवाले है.
सरकार ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह बातचीत के स्थल को लेकर रियायत दे सकती है.
लेकिन अभी भी ये स्पष्ट नहीं है कि वे ओस्लो में बातचीत के लिए तैयार हैं या नहीं.
आरोप
राष्ट्रपति कह चुके हैं कि दिसंबर के आरंभ से लेकर अभी तक विद्रोहियों के हमलों में 70 से अधिक सैन्यकर्मी मारे जा चुके हैं.
आलोचकों की राय है कि विद्रोही श्रीलंका सरकार को फिर से लड़ाई छेड़ने के लिए उकसा रहे हैं.
राष्ट्रपति कह चुके हैं उनके अभी तक के धैर्य को उनकी कमज़ोरी नहीं समझा जाना चाहिए.
दूसरी तरफ़ ये भी आरोप लग रहे हैं कि श्रीलंका सेना तमिल विद्रोहियों को निशाना बना रही है लेकिन इस बारे में आधिकारिक तौर पर किसी ने शिकायत नहीं की है.