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गुरुवार, 29 दिसंबर, 2005 को 21:19 GMT तक के समाचार

विनोद वर्मा
बीबीसी संवाददाता, मुंबई से

'सत्ता की राजनीति' नहीं करेंगे वाजपेयी

भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुरुवार को 'सत्ता की राजनीति' से संन्यास लेने की घोषणा की है.

81 वर्षीय वाजपेयी ने यह घोषणा तब की है जबकि मुंबई में पार्टी अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर रजत जयंती समारोह कर रही है.

वाजपेयी ने अति संक्षिप्त भाषण में संन्यास की घोषणा करते हुए कहा कि वे अब कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन पार्टी के लिए काम करते रहेंगे.

संन्यास की घोषणा के समय मुंबई के प्रसिद्ध शिवाजी मैदान पर भाजपा की एक आम सभा में हज़ारों लोग मौजूद थे.

गुरुवार को वाजपेयी ने यह घोषणा ठीक उसी तारीख पर की है, जिस तारीख यानी 29 दिसंबर 1980 को अब से 25 वर्ष पहले भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की घोषणा हुई थी और वाजपेयी उस वक्त पार्टी के अध्यक्ष बने थे.

संन्यास

वाजपेयी ने जब यह घोषणा की, उस वक्त कुछ क्षणों के लिए मंच और सभा में सन्नाटा-सा छा गया.

अपने भाषण में वाजपेयी ने रामायण के एक प्रसंग का ज़िक्र करते हुए कहा, "मैं परशुराम की तरह राज्याभिषेक के प्रसंग से अब अपने को अलग कर लेता हूँ, अब मैं चुनाव नहीं लडूँगा. मैं काम करूंगा लेकिन सत्ता की राजनीति नहीं करूंगा."

अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण से पहले भाजपा नेता प्रमोद महाजन ने कहा था कि अब पार्टी में दूसरी पीढ़ी के नेता तैयार हो चुके हैं.

आमसभा में पार्टी के कार्यकर्ता और श्रोता हज़ारों की संख्या में मौजूद थे.

भाजपा के रजत जयंती आयोजन के कारण सभा का भव्य आयोजन किया गया था. इस अवसर पर आतिशबाज़ी भी की गई.

उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले एक टेलीविज़न चैनल को दिए गए साक्षात्कार में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख सुदर्शन ने सलाह दी थी कि अटलबिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी दोनों की उम्र अधिक हो गई है और अब उन्हें सेवानिवृत हो जाना चाहिए.

और केएस सुदर्शन की राय का समर्थन करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कहा था कि अधिक उम्र के नेताओं को सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए.

वाजपेयी ने कहा था कि वे ख़ुद तो किसी पद पर नहीं हैं और पद से हटने का फ़ैसला पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी को, पार्टी को करना है.