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सोमवार, 07 नवंबर, 2005 को 17:35 GMT तक के समाचार
 
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'ज़रूरत हुई तो उनसे भी पूछताछ करूँगा'
 
न्यायमूर्ति आरएस पाठक
आरएस पाठक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी जज रहे हैं
वोल्कर मामले में कांग्रेस पार्टी और नटवर सिंह पर लगाए गए आरोपों की जाँच कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति रघुनंदन स्वरूप पाठक ने कहा है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो वह नटवर सिंह को भी पूछताछ के लिए बुला सकते हैं.

उन्होंने कहा कि वो इस रिपोर्ट को एकदम खुले दिमाग से देख रहे हैं और अच्छी तरह पढ़कर ही इस पर कोई टिप्पणी करेंगे.

केंद्र सरकार ने सोमवार को वोल्कर मामले की न्यायिक जाँच कराने की घोषणा की है और इसका ज़िम्मा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, आरएस पाठक को सौंपा है.

बीबीसी संवाददाता रेनू अगाल ने उनसे इस ज़िम्मेदारी के सौंपे जाने के कुछ देर बाद ही जाँच के तमाम पहलुओं पर बातचीत की.

आपको इस जाँच की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है. क्या दायरा है इस जाँच का.

जाँच का जो दायरा है, उस बारे में मुझे अभी औपचारिक तौर पर सारी चीज़ें उपलब्ध नहीं हुई हैं लेकिन मुझसे कहा गया है कि मुझे वोल्कर रिपोर्ट में कांग्रेस पार्टी और नटवर सिंह पर लगाए गए आरोपों की जाँच करनी है कि ये आरोप सही हैं या नहीं. जब सारी सामग्री आ जाएगी तो उसकी जाँच करेंगे और फिर किसी नतीजे पर पहुँचेंगे.

क्या आप अकेले ही इस पूरे मामले की जाँच करेंगे या फिर और लोगों को भी नियुक्त कर सकते हैं.

हालांकि जाँच तो मेरी ज़िम्मेदारी है पर में जिन लोगों की मदद की ज़रूरत पड़ेगी, उनसे मदद भी लूँगा. मैं किसकी मदद लूँगा, यह मेरे चयन पर निर्भर करेगा.

आपका काम तब शुरू होगा, जब वीरेंद्र दयाल आपको सामग्री लाकर देंगे. ऐसे में क्या यह समझा जाए कि अगले तीन महीने तक वीरेंद्र दयाल जाँच को देखेंगे और फिर उसके बाद आप.

दोनों साथ-साथ काम कर सकते हैं. जो सामग्री उनके पास आती जाएगी वो मुझे भेजते रहेंगे और हम साथ-साथ काम शुरू कर सकते हैं.

इस मामले के तार तमाम देशों तक फैले हैं. ऐसे में क्या आपको लगता है कि वीरेंद्र दयाल अगले तीन महीनों में क्या सारे देशों से यह पूरी जानकारी जुटा पाएंगे और क्या उन्हें इतने अधिकार मिले हैं कि वह ये पूरी सामग्री जुटा सकें.

वे संयुक्त राष्ट्र में ऊंचे अहोदे पर रह चुके हैं और अपने अधिकारों के बारे में तो वही ज़्यादा बेहतर बता पाएंगे. उन्हें जाँच के लिए जो अधिकार दिए गए हैं, उनके मुताबिक वो काम करेंगे.

बोफ़ोर्स मामले को देखें तो उसकी जाँच के लिए भी विदेशों से तमाम कागज़ात आए थे, कुछ पर फ़ोटोकॉपी होने के चलते आपत्तियाँ भी हुईं और कोर्ट ने उन कागज़ों को नहीं माना. इतने साल मामला चला. लोगों को शक है कि इस मामले में भी ऐसा ही कुछ होगा.

मेरे ख़्य़ाल से तो ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि इस जाँच में सीमित सवालों पर ही काम करना है. मुझे देखना है कि वोल्कर रिपोर्ट में किन साक्ष्यों को रखा गया है और उनके अलावा कौन से ऐसे साक्ष्य हैं जिन्हें देखना बाकी है और इसके बाद ही मैं किसी नतीजे पर पहुँचूँगा.

जाँच के दायरे में कांग्रेस पार्टी और नटवर सिंह भी आ रहे हैं. क्या ज़रूरत पड़ी तो आप उनसे भी पूछताछ करेंगे.

अगर ज़रूरत पड़ी तो उनसे ज़रूर पूछताछ करूँगा. हम ज़रूरत पड़ी तो उनकी मदद लेंगे.

वोल्कर रिपोर्ट के बारे में जो भी सूचना अबतक आपको मिली है, क्या उसके आधार पर आपको लगता है कि कोई मामला बनता है.

मैं इस बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता हूँ. मैंने इस रिपोर्ट को अभी उस तरह से नहीं देखा है और केवल सरसरी तौर पर नज़र डाली है और मैं इसे खुले दिमाग़ से देख रहा हूँ. मैं इसे अच्छी तरह से पढ़ूँगा और फिर कुछ कह सकता हूँ.

 
 
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