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शुक्रवार, 14 अक्तूबर, 2005 को 04:23 GMT तक के समाचार

भारतीय कश्मीर में तंबुओं की भारी कमी

भारतीय कश्मीर में हज़ारों कश्मीरी ख़राब मौसम की मार सहते हुए खुले आसमान के नीचे रातें काटने को विवश हैं क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद का कहना है कि तंबुओं की भारी कमी है.

जम्मू-कश्मीर के उड़ी और तंगधार सबसे अधिक प्रभावित ज़िले हैं जहाँ 140 गाँवों में भूकंप ने तबाही मचाई है लेकिन कुछ गाँव अब भी ऐसे हैं जहाँ राहत नहीं पहुँच सकी है क्योंकि वहाँ पहुँचने के रास्ते चट्टानों के गिरने के कारण बंद हो गए हैं.

बीबीसी संवाददाता अल्ताफ़ हुसैन का कहना है कि इन सात-आठ गाँवों को छोड़कर बाक़ी स्थानों पर सेना की मदद से राहत सामग्री का वितरण चल रहा है.

भारतीय कश्मीर की ताज़ा तस्वीरें

लेकिन मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद भी मानते हैं कि लोगों को सिर छिपाने के लिए तंबू उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहा है, उनका कहना है, "लोगों की कंबल की माँग तो हम पूरी कर पा रहे हैं, हज़ारों की तादाद में कंबल भिजवाए गए हैं लेकिन तंबुओं की माँग बहुत अधिक है जो हम पूरी नहीं कर पा रहे हैं."

बीबीसी संवाददाता का कहना है कि केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता मिली है, टेंट ख़रीदने के लिए सरकार पैसा भी ख़र्च करने को तैयार है लेकिन अब तक सिर्फ़ छह हज़ार तंबू ही मिल सके हैं.

मुख्यमंत्री सईद ने कहा, "हमें कम से कम तीस हज़ार तंबुओं की ज़रूरत है, हम सबसे संपर्क कर रहे हैं, देश में गुजरात के भूकंप के बाद इस बात के बारे में जानकारी रखने वाले लोग हैं जिनसे बातें हो रही हैं, कंपनियों से भी बात हुई है लेकिन हर रोज़ देश भर में 200 तंबू ही बन रहे हैं."

विकल्प

मुख्यमंत्री ने बताया है कि आज श्रीनगर में एक उच्चस्तरीय बैठक हो रही है जिसमें इस बात पर विचार किया जाएगा कि पर्याप्त संख्या में तंबू न मिलने की सूरत में लोगों के सिर छिपाने के लिए क्या इंतज़ाम किया जाए.

मुफ़्ती मोहम्मद सईद का कहना है कि आज की बैठक में हम बिल्डरों से भी बात करेंगे कि किस तरह लोगों के रहने का अस्थायी इंतज़ाम जल्द से जल्द किया जा सकता है.

उन्होंने बताया, "दिल्ली से केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आज़ाद भी आ रहे हैं बैठक में भाग लेने के लिए, उनके साथ केंद्र सरकार के कुछ अधिकारी भी हैं, हम आज वैकल्पिक व्यवस्था पर कोई फ़ैसला करके जल्द से जल्द काम शुरू कर देंगे."

श्रीनगर से बीबीसी संवाददाता अल्ताफ़ हुसैन का कहना है कि कुछ स्थानीय अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि जिन घरों के हिस्से सलामत हैं वहाँ टीन की चादरें डालकर लोगों के रहने का इंतज़ाम करने की कोशिश की जाए, इसके लिए लोगों को हथौड़े, कीलें और आरी जैसे उपकरण मुहैया कराने की बात भी हो रही है.

भारतीय कश्मीर के उड़ी और तंगधार ज़िलों में सरकारी अनुमान के मुताबिक़ कम से कम 42 हज़ार घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं.