मंगलवार, 27 सितंबर, 2005 को 06:35 GMT तक के समाचार
पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट ने बम धमाकों के अभियुक्त भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत की सज़ा बरक़रार रखी है.
सरबजीत सिंह पर भारत के लिए जासूसी करने और 1990 के दौरन चार बम धमाकों में शामिल होने के आरोप हैं और इन मामलों में एक निचली अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई थी.
सरबजीत सिंह ने मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर रखी थी जिसकी मंगलवार को सुनवाई हुई.
इस्लामाबाद में बीबीसी संवाददाता एजाज़ मेहर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अब्दुल हमीद डोगर और जस्टिस सैयद अरशद हुसैन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरबजीत सिंह की अपील ख़ारिज कर दी और मौत की सज़ा बरक़रार रखने का फ़ैसला सुनाया.
सरबजीत सिंह के वकील राणा अब्दुल हमीद ने बताया कि उन चार बम धमाकों के अलग-अलग मामले दर्ज हुए थे और उनकी सुनवाई भी अलग-अलग हुई है.
निचली अदालत ने इन चारों मामलों में सरबजीत सिंह को मौत की सज़ा सुनाई थी जिनके ख़िलाफ़ सरबजीत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.
अपील पर मंगलवार को सुनवाई ख़त्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत सिंह की मौत की सज़ा बरक़रार रखी.
ग़ौरतलब है कि सरबजीत सिंह के मामले में भारत के प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भी पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ से बातचीत की थी.
नया मोड़
कुछ दिन पहले सरबजीत सिंह के मामले में एक नया मोड़ आ गया था जब बम विस्फोट के जिस मामले में यह सज़ा सुनाई गई है उसका मुख्य गवाह अपने बयान से मुकर गया.
अब मुख्य गवाह ने कहा था कि वह सरबजीत सिंह को नहीं जानता और जिस समय विस्फोट हुआ उस समय वह बेहोश हो गया था इसलिए उसने किसी को नहीं देखा था.
सलीम शौकत नाम के इस गवाह ने भारत के दो प्रमुख टेलीविज़न चैनलों को दिए गए इंटरव्यू में कहा था कि उन पर इस तरह की गवाही देने के लिए सरकारी वकील और पुलिस ने दबाव डाला था.
उन्होंने कहा, "मुझसे सरकारी वकील ने कहा था कि मैं सरबजीत को विस्फोट के मुख्य अभियुक्त के रुप में पहचान लूँ और मैंने अदालत में वही किया."
ग़ौरतलब है कि 18 मई 1990 को लाहौर के एक सिनेमाघर के सामने विस्फोट हुआ था और सरबजीत पर आरोप है कि वह भारत के एक जासूस की तरह पाकिस्तान आया था और विस्फोट का मुख्य अभियुक्त था.