http://www.bbcchindi.com

रविवार, 18 सितंबर, 2005 को 02:23 GMT तक के समाचार

आशुतोष चतुर्वेदी
बीबीसी संवाददाता, चेन्नई से

निगाहें आडवाणी पर टिकीं

भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी का रविवार को तीसरा और अंतिम दिन है और इस दिन ऐसी ख़बरें हैं कि पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी अपना पद छोड़ने का कोई संकेत दे सकते हैं.

हालांकि दक्षिणी राज्य तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में आयोजित कार्यकारिणी की शुरुआत से ही आडवाणी को लेकर न केवल मीडिया बल्कि पार्टी में भी उनके पद छोड़ने की चर्चा चल रही है.

रविवार को कार्यकारिणी में अटलबिहारी वाजपेयी का भाषण होना है और अंत में आडवाणी अपनी बात रखेंगे.सबकी उत्सुकता इसी को लेकर है.

हालाँकि शनिवार को भाजपा प्रवक्ता सुषमा स्वराज से जब यह सवाल पूछा गया तो उनका जवाब था कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं.

उल्लेखनीय है कि दिसंबर में भाजपा ने रजत जयंती वर्ष के समापन पर मुंबई में महाधिवेशन आयोजित किए जाने की घोषणा की है. माना जा रहा है कि इसमें पार्टी में कुछ उलटफेर हो सकती है.

दबाव में आडवाणी

जिन्ना विवाद के बाद से ही लालकृष्ण आडवाणी पर पार्टी के कुछ नेता निशाना साधते रहे हैं. कार्यकारिणी की शुरुआत में ही पार्टी के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण ने पार्टी आडवाणी पर हल्ला बोला था.

उनका कहना था कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी हो रही है.बंगारू लक्ष्मण आडवाणी विरोधी मुहिम के प्रमुख स्वरों में से एक माने जाते हैं.

इसके अलावा एक अन्य पूर्व अध्यक्ष जना कृष्णमूर्ति, मुरली मनोहर जोशी और यशवंत सिन्हा और प्यारेलाल खंडेलवाल जैसे नेता भी आडवाणी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा चुके हैं.

माना जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी पर आरएसएस की ओर से पद छोड़ने का दबाव है.

दरअसल पाकिस्तान यात्रा के दौरान लालकृष्ण आडवाणी ने मोहम्मद अली जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष कह दिया था और इसके बाद पार्टी के भीतर और संघ परिवार में व्यापक प्रतिक्रिया हुई थी.

इसके कारण आडवाणी ने एक बार इस्तीफ़ा भी दे दिया था लेकिन नाटकीय घटनाक्रम के बाद वे इसे वापस लेने को भी राज़ी हो गए थे.

लेकिन सूरत में आरएसएस के प्रांत प्रचारकों की बैठक के बाद एक बार फिर आडवाणी को भाजपा अध्यक्ष के पद से हटाने की माँग उठने लगी थी.

इसके बाद ख़बरें आईं कि आरएसएस की ओर से आडवाणी को मोहलत दे दी गई है कि वो अपने इस्तीफ़े का समय ख़ुद ही तय करें.