रविवार, 11 सितंबर, 2005 को 11:41 GMT तक के समाचार
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मदनलाल खुराना ने रविवार को कहा कि उन्हें पार्टी की तरफ़ से निलंबन-पत्र सौंपा गया है.
इसी के साथ खुराना मामले पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने जो रुख़ अपनाया है उससे मौजूदा संकट और गहराता नज़र आ रहा है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार खुराना ने रविवार को पत्रकारों को बताया, "इस पत्र पर आठ सितंबर, 2005 की तारीख़ लिखी है और मुझे यह पिछली रात यानी दस सितंबर को मिला."
पत्रकारों से बातचीत से पहले खुराना ने पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी से क़रीब डेढ़ घंटा बातचीत की.
दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके मदन लाल खुराना ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अटल जी के हस्तक्षेप के बावजूद उन्हें पिछली रात यह निष्काषन-पत्र दिया गया."
उन्होंने कहा, "इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि भाजपा का एक गुट मेरे ख़िलाफ़ साज़िश रच रहा है और पार्टी के भीतर विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहा है."
वाजपेयी और आडवाणी
अटल बिहारी वाजपेयी ने कुछ दिन पहले कहा था कि खुराना को अपना पक्ष रखने का मौक़ा दिया जाना चाहिए.
अटल बिहारी वाजपेयी के बयान का ज़िक्र करते हुए खुराना ने कहा, "भाजपा नेताओं ने वाजपेयी के बयान की अनदेखी की है, मैं अटलजी में पूरा विश्वास रखता हूँ."
खुराना ने कहा, "अगर पत्र दो दिन के लिए रोका जा सकता था तो इसे कुछ और पूरी तरह भी रोका जा सकता था."
खुराना ने शनिवार को कहा था कि उन्होंने पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में काम करने पर कोई आपत्ति नहीं है और न ही उन्होंने कभी आडवाणी पर शंका प्रकट की है.
खुराना का कहना था,'' पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी हमेशा से मेरे मार्गदर्शक रहे हैं. मुझे पार्टी के नए नेताओं से शिकायत है.''
खुराना ने उदाहरण दिया कि जम्मू के चमनलाल गुप्ता और हिमाचल प्रदेश के शांता कुमार जैसे नेताओं का नए नेता सम्मान नहीं कर रहे हैं.
मदनलाल खुराना को सात सितंबर को पार्टी को आडवाणी के नेतृत्व पर सवाल उठाने के लिए निष्कासित कर दिया था. उस दौरान उन्होंने कहा था कि वो आडवाणी के नेतृत्व में काम नहीं कर सकते हैं.