http://www.bbcchindi.com

बुधवार, 03 अगस्त, 2005 को 09:28 GMT तक के समाचार

परमाणु नीति में बदलाव पर चिंता

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत की परमाणु नीति में कथित बदलाव को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि सरकार को सभी को विश्वास में लेना चाहिए.

अमरीका यात्रा से लौटने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान पर लोकसभा में बहस की शुरुआत करते हुए वाजपेयी ने कहा कि भारत सरकार ने जो समझौता किया है उससे कई प्रश्न खड़े हुए हैं.

उन्होंने कहा कि परणाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के लिए जो समझौते किए गए हैं उसका वे स्वागत करते हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा कि पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद दुनिया भर के देशों ने भारत के ख़िलाफ़ अभियान छेड़ दिया था लेकिन भारत ने अपनी नीति की स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं किया था.

उन्होंने कहा कि भारत की घोषित नीति रही है कि भारत न तो परमाणु हथियारों का पहला उपयोग करेगा और न इसका उपयोग उन देशों के ख़िलाफ़ करेगा जिनके पास परमाणु शक्ति नहीं है.

सवाल

अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि भारत-अमरीका के बीच हाल ही में हुए समझौते ने कई सवाल खड़े किए हैं.

उन्होंने कहा, "मैं समझता हूँ कि परमाणु कार्यक्रम को सामरिक और ग़ैर-सामरिक दो भागों में विभाजित करने से पहले सरकार ने वैज्ञानिकों से ज़रुर चर्चा की होगी."

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने पूछा कि भविष्य में भारत की सामरिक ज़रुरतें बढ़ेंगी लेकिन क्या इस विभाजन से भारत के हाथ बंध नहीं जाएँगे?

उन्होंने कहा कि दूसरी चिंता की बात यह है कि आणुविक उत्पादनों के लिए जो समझौते की बात हो रही है क्या वह जिनिवा में चल रही चर्चा से अलग है और कौन से देश इसमें शामिल होंगे और कौन इसमें शामिल नहीं होंगे. क्या इससे भारत के परमाणु कार्यक्रम पर असर नहीं पड़ेगा?

उन्होंने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक थोरियम से परमाणु ऊर्जा उत्पादन की संभावना तलाशने में लगे हुए हैं क्या इस समझौते से उस पर असर नहीं पड़ेगा?

पूर्व प्रधानमंत्री ने पूछा कि अमरीका भारत को ज़िम्मेदार परमाणु हथियार सम्पन्न शक्ति तो मानते हैं और ज़िम्मेदारियाँ भी दी जा रही हैं लेकिन क्या भारत को दूसरे परमाणु हथियार सम्पन्न राष्ट्रों की तरह भारत को लाभ भी दिया जाएगा?

उन्होंने कहा, "परमाणु नीति किसी सरकार की नीति नहीं होती वह राष्ट्र की नीति होती है और उम्मीद है कि सरकार सदन को विश्वास में लेगी."