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अफ़ीम की खेती में कमी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान शासन की समाप्ति के बाद पहली बार अफ़ीम की खेती में कमी आई है. संयुक्त राष्ट्र के नशीली दवाओं से संबंधित विभाग के मुखिया अंतोनिया मारिया कोस्टा ने कहा है कि अफ़ीम की खेती के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इलाक़े में 21 प्रतिशत की कमी आई है. लेकिन अफ़ीम की फ़सल के बारे में कुछ ख़ास फ़र्क नहीं पड़ा है और अफ़ग़ानिस्तान अब भी दुनिया भर में सबसे ज़्यादा अफ़ीम का उत्पादन करने वाला देश है. दुनिया में अफ़ीम की क़रीब 90 प्रतिशत आपूर्ति अफ़ग़ानिस्तान से ही होती है. ग़ौरतलब है कि हीरोइन जैसा नशीला पदार्थ तैयार करने में अफ़ीम का इस्तेमाल किया जाता है. अंतोनियो मारिया कोस्टा ने कहा है, "ज़ाहिर है कि यह ख़बर सुनकर हमें अच्छा लगा क्योंकि यह किसानों के संयम का नतीजा है जो बहुत महत्वपूर्ण है." उन्होंने कहा कि अफ़ीम की खेती में आई कमी के लिए कई कारण ज़िम्मेदार हैं जिनमें सरकार की तरफ़ से डाला गया दबाव और किसानों को अफ़ीम की खेतीबाड़ी नहीं करने के लिए प्रोत्साहित करने जैसे उपाय शामिल हैं. लेकिन अंतोनियो ने अफ़ग़ानिस्तान सरकार से उन प्रांतों के गवर्नरों को हटाने का भी आहवान किया है जहाँ अफ़ीम की खेतीबाड़ी में कोई कमी नहीं आई है.
अंतोनियो ने कहा, "गवर्नरों को इसके लिए दंडित किया जाना चाहिए. अभी उन्हें पूरी सज़ा नहीं मिली है, उन्हें या तो पदों से हटा दिया जाना चाहिए या फिर जेल भेज दिया जाना चाहिए." चिंता संयुक्त राष्ट्र ने इससे पहले चिंता ज़ाहिर की थी कि अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ीम की खेतीबाड़ी और कारोबार पर क़ाबू नहीं पाया गया तो यह एक ऐसे देश में तब्दील हो सकता है जहाँ नशीले पदार्थों का कारोबार प्रमुख बन जाए. अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने इस साल के आरंभ में अमरीका यात्रा के दौरान भरोसा दिलाया था कि साल 2005 में अफ़ीम की खेतीबाड़ी में 30 प्रतिशत की कमी की जाएगी. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने 2001 में तालेबान सरकार की समाप्ति के बाद से अफ़ग़ानिस्तान में अफ़ीम की खेतीबाड़ी रोकने के विभिन्न कार्यक्रमों पर लाखों डॉलर ख़र्च किए हैं. |
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