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आडवाणी की स्थिति पर असमंजस जारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के पद पर बने रहने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. एक नाटकीय घटनाक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्वालियर में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि हालाँकि वे व्यक्तिगत तौर पर चाहते हैं कि आडवाणी पार्टी अध्यक्ष और विपक्ष के नेता, दोनों पदों पर बने रहें लेकिन पार्टी की नीति एक व्यक्ति एक पद की है. इस बीच दिल्ली में आडवाणी अचानक पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय पहुँच गए और एक घंटे की बैठक के बाद संघ के प्रवक्ता राम माधव ने कहा, "संघ का मानना है कि विचारधारा सर्वोपरि है." उन्होंने कहा कि सभी विवादों को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. दिल्ली में राजनीति पर नज़र रखने वालों का मानना है कि लालकृष्ण आडवाणी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच टकराव जारी है और दोनों में कोई झुकने को तैयार नहीं दिख रहा लेकिन ऐसा लगता है कि आडवाणी को निर्णय लेने के लिए शायद कुछ दिनों का समय मिल गया है. संघ इसके बाद आडवाणी के आवास पर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई जिसके बाद पार्टी उपाध्यक्ष वेंकैया नायडू ने रक्षात्मक मुद्रा में पत्रकारों के कुछ सवालों के जवाब दिए और कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तय कार्यक्रम के अनुसार 21 जुलाई को चेन्नई में होगी. उन्होंने कहा कि सोमवार को पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक भी बुलाई गई है. बीबीसी से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला का कहना है कि उनके इस बयान को संकेत के रुप में देखा जा रहा है कि आडवाणी को आने वाले दिनों में एक पद छोड़ना पड़ सकता है. जैसा कि पार्टी के भीतर से और संघ से दबाव है संभावना है कि आडवाणी पार्टी अध्यक्ष का पद ही छोड़ेंगे. जिस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है वो यह है कि यह निर्णय कब होगा. 21 जुलाई को पार्टी कार्यकारिणी की बैठक शुरु होने से पहले, इसके दौरान या फिर इसके बाद. |
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