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चर्च में आने वालों के कपड़ों पर चर्चा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुंबई के चर्चों में रविवार की प्रार्थना में मिनी स्कर्ट और चुस्त कपड़े पहनने वाली महिलाओं को आगाह किया गया है कि वे इससे बाज़ आएँ. मुंबई के आर्चबिशप चर्च जाने वाले लोगों के पहनावे से ख़ासे परेशान हैं. आर्चबिशप कार्डिनल इवान डायस ने कहा है कि प्रार्थना के लिए आने वाले लोगों को शालीनता से कपड़े पहनने चाहिए. चर्च के अधिकारियों का कहना है कि ऐसा करने का उद्देश्य चर्च में बढ़ रही अश्लीलता को रोकना है. मुंबई विश्वविद्यालय में भी ड्रेस कोड लागू करने की कोशिशों से पिछले दिनों काफ़ी बहस छिड़ गई थी. कार्डिनल डायस ने कहा, "पहले लोग रविवार की प्रार्थना सभा में अपने सबसे अच्छे परिधान पहनकर आते थे और फ़ैशन परेड जैसा माहौल होता था लेकिन अब लोग एक दूसरे चरम की ओर जा रहे हैं, वे इतने कम और कैजुअल कपड़े पहन रहे हैं जो किसी धार्मिक स्थल की गरिमा के अनुकूल नहीं हैं." विवाद मुंबई की कैथोलिक फ़ोरम के अध्यक्ष डॉल्फ़ी डिसूजा ने कहा है कि चर्च ने सिर्फ़ दिशा निर्देश जारी किए हैं, उन्हें आदेश नहीं मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह के दिशा निर्देश जारी करना नियमित बात है, चर्च काफ़ी समय से लोगों को ड्रेस कोड की बात याद दिला रहा है. नियमित रूप से चर्च जाने वाले एक व्यक्ति का कहना था कि इस तरह के दिशा निर्देश आवश्यक हैं क्योंकि चर्च की प्रार्थना सभा फ़ैशन शो में बदलती जा रही है. मुंबई में लगभग 100 चर्च हैं जिनमें लगभग पाँच लाख ईसाई प्रार्थना सभाओं में हिस्सा लेते हैं. माना जा रहा है कि चर्च ने जान-बूझकर इसे आदेश के रूप में जारी नहीं किया है क्योंकि इसे लागू कर पाना बहुत कठिन होगा. मुंबई यूनिवर्सिटी में चुस्त और अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़े पहनने को लेकर जारी किए गए आदेश पर काफ़ी हंगामा मचा था और अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है. |
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