सोमवार, 06 जून, 2005 को 06:43 GMT तक के समाचार
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने एक सप्ताह की पाकिस्तान यात्रा से लौटने के बाद संकेत दिए हैं कि वे मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर क़ायम हैं.
उनका कहना था कि जिन्ना ने संविधान सभा में जो भाषण दिया था वह भारत की धर्मनिरपेक्षता की नीति से बिलकुल मेल खाता है और वे मानते हैं कि जिन्ना भी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को मानते थे.
उल्लेखनीय है कि जिन्ना को श्रद्धांजलि देने के बाद भाजपा अध्यक्ष आडवाणी ने उन्हें धर्मनिरपेक्ष कहा था.
इसके अलावा उन्होंने छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के गिराए जाने को लेकर खेद भी प्रकट किया था.
इस बयान को लेकर भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने नाराज़गी ज़ाहिर की है और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने आडवाणी से पद छोड़ने की मांग की है.
बयान पर क़ायम
भारत लौटने के बाद विमानतल के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए लालकृष्ण आडवाणी ने हालांकि बाबरी मस्जिद वाले मामले का कोई ज़िक्र नहीं किया.
लेकिन जिन्ना को लेकर दिए गए अपने बयान पर क़ायम रहने के संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि जिन्ना ने संविधान सभा में जो भाषण दिया था उसे पढ़कर समझ में आता है कि जिन्ना भी धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर थे.
उन्होंने कहा कि रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष रहे स्वामी रंगनाथानंद की सलाह पर उन्होंने जिन्ना का संविधान सभा का भाषण पढ़ा था और पाया कि वे भी चाहते थे कि राज्य सत्ता किसी भी धर्म को संरक्षण देने से बचे.
आडवाणी ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि उनके बयानों की चर्चा हुई है. उन्होंने कहा कि वे चर्चा को अच्छी बात मानते हैं क्योंकि चर्चा होनी चाहिए.
लेकिन उन्होंने पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब देने से इंकार कर दिया.
संतोषजनक यात्रा
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि एक हफ़्ते की उनकी पाकिस्तान की यात्रा बेहद संतोषजनक रही है.
उन्होंने राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ और प्रधानमंत्री शौकत अज़ीज़ सहित कई नेताओं से हुई अपनी बातचीत का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत से चल रही बातचीत को लेकर सभी आशान्वित हैं.
लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, " मैं मानता हूँ कि यदि भारत और पाकिस्तान दोनों ओर के लोग वैमनस्य को बीते हुए समय की बात बना लें इसी में भलाई है."
उन्होंने पाकिस्तान में कुछ प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार का ज़िक्र करते हुए कहा कि इसे पाकिस्तान में आ रहे बदलाव के प्रतीक के रुप में देखा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लोग मानते हैं कि शांतिवार्ता की शुरुआत एनडीए सरकार के कारण ही संभव हो सकी थी.
विवाद
उल्लेखनीय है कि बाबरी मस्जिद और जिन्ना को लेकर दिए गए उनके बयान को लेकर भाजपा के सहयोगी हिंदू संगठनों में भारी बवाल मचा हुआ है.
आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद दोनों ने आडवाणी के बयानों की निंदा की है.
विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने तो लालकृष्ण आडवाणी के इस्तीफ़े तक की बात कही है.
हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि बाबरी मस्जिद (जिसे भाजपा विवादित ढाँचा कहती है) को लेकर आडवाणी ने नया कुछ नहीं कहा है.
जबकि जिन्ना के बयान को लेकर पार्टी ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है और कहा है कि इस पर पार्टी विचार कर रही है.