मंगलवार, 17 मई, 2005 को 08:11 GMT तक के समाचार
सुबीर भौमिक
बीबीसी संवाददाता, कोलकाता
पश्चिम बंगाल प्रशासन ने आदेश दिए हैं कि राजधानी कोलकाता में 1990 से पहले के निर्मित वाहनों को चलाने की अनुमति तभी मिलेगी जब वे एलपीजी अथवा सीएनजी में परिवर्तित करवा जाएंगे.
पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री सुभाष चक्रवर्ती ने पत्रकारों को बताया कि इन वाहनों के लिए समयसीमा
निर्धारित की गई है.
उनका कहना था कि या तो वाहन मालिक उनको प्रदूषण रहित ईंधन के लिए परविर्तित करा लें अथवा 31 दिसंबर, 2005 से चलाना बंद कर दें.
परिवहन मंत्री का कहना था कि हमने पुराने वाहनवालों को एक विकल्प दिया है. वे इसका लाभ उठा सकते हैं.
कोलकाता भारत के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से एक है. यहाँ प्रदूषण का स्तर अन्य शहरों से कहीं अधिक है.
कोलकाता स्थित चितरंजन कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट और कोलकाता विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से पता चला है कि शहर की 50 फ़ीसदी से अधिक आबादी सांस की बीमारियों से पीड़ित है.
हवा में प्रदूषण के कारण फेंफड़ों के कैंसर की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है.
पिछले दस वर्षों में प्रदूषण फैलानेवाले वाहनों को रोकने के लिए अनेक जनहित याचिकाएँ दायर की गईं हैं.
निर्देश
हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया था कि पुराने प्रदूषण फैलानेवाले वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए एक समयसीमा निर्धारित करें.
सरकार ने इसके लिए और समय माँगा था क्योंकि कोलकाता में एलपीजी और सीएनजी की उपलब्धता को लेकर समस्या थी.
इसके पहले प्रशासन ने 1975 से पहले के वाहनों को प्रतिबंधित किया था लेकिन वाहन मालिकों ने इसे अदालत में चुनौती दे दी थी और फ़ैसला उनके पक्ष में गया था.
राज्य के परिवहन मंत्री सुभाष चक्रवर्ती का कहना है कि उसके बाद पश्चिम बंगाल वाहन अधिनियम में संशोधन किया गया है ताकि इसे अदालती चुनौती न दी जा सके.
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रतिबंध से 50 हज़ार से अधिक वाहन प्रभावित होंगे.