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श्रीलंका में संपादक की हत्या | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
श्रीलंका में तमिल टाइगर विद्रोहियों के समर्थन में लिखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार का अपहरण करने के बाद उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई है. धर्मारेतनम सिवाराम तमिलनेट वेबसाइट में वरिष्ठ संपादक थे. उनकी उम्र 46 वर्ष थी. उनका बृहस्पतिवार को एर रेस्त्रां से अपहरण किया गया और शुक्रवार को संसद परिसर के क़रीब उनका शव मिला. अभी तक किसी ने भी इस हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली है. पुलिस का कहना है कि सिवाराम के मुँह में कपड़ा ठूँसा गया था और उनके सिर में गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई. सिवाराम एक ऐसे गुट के नज़दीक समझे जाते थे जो तमिल टाइगर्स से अलग हो गया था लेकिन उनके लेख मुख्य संगठन के पक्ष में ही होते थे. तमिलनेट वेबसाइट का कहना है कि परिवार के लोगों ने शव की शिनाख़्त कर दी है और अब उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है.
कोलोंबो में बीबीसी संवाददाता डुमीथा लूथरा का कहना है कि चार लोगों को सिवाराम को एक वाहन में डाल कर भागते देखा गया था. सिवाराम के लेख प्रायः बहुसंख्यक सिंहला समुदाय के अतिवादी गुटों पर केंद्रित होते थे. पिछले साल पुलिस ने दो बार यह कह कर उनके मकान पर छापा मारा कि वे हथियारों की तलाश कर रहे हैं. वर्ष 2001 में बट्टीकलोआ में अज्ञात लोगों ने उन्हें पीटा और उन पर छुरे से वार किया. उसी वर्ष एक सरकारी समाचारपत्र ने उन पर तमिल विद्रोहियों का जासूस होने का आरोप लगाया और सिवाराम ने बीबीसी की फ़्रांसेस हैरिसन से कहा था कि उनकी जान ख़तरे में है. बीबीसी संवाददाता डुमीथा लूथरा का कहना है कि कई पत्रकार निशाना बनने से बचने के लिए पूर्व की ओर पलायन कर गए हैं लेकिन इस नवीनतम घटना ने इस बारे में चिंता पैदा कर दी है कि क्या हिंसा अब राजधानी कोलंबो की ओर पैर पसारने लगी है. सरकार और तमिल विद्रोहियों के बीच बातचीत में गतिरोध पैदा हो जाने के बाद इस साल हिंसा की गतिविधियों में बढ़ोतरी देखने में आ रही है. |
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