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सीबीआई करेगी रक्षा सौदे की जाँच | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
सत्ताधारी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने पूर्व राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के दौरान 2003 में दक्षिण अफ़्रीकी कंपनी डेनेल के साथ हुए रक्षा सौदे की जाँच सीबीआई को सौंप दी है. दूसरी ओर पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने इसे सेनाओं को हतोत्साहित करने की साजिश क़रार दिया है. रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी ने घोषणा की कि उन्होंने जाँच के आदेश दे दिए हैं कि इस रक्षा सौदै में कोई मध्यस्थ तो शामिल नहीं था. डेनेल के साथ 20 करोड़ रुपए का सौदा हुआ था जिसके तहत उसे टैंकरोधी राइफ़ल की आपूर्ति करनी थी. भारतीय नियमों के अनुसार रक्षा सौदों में कोई मध्यस्थ या दलाल नहीं होना चाहिए. दक्षिण अफ़्रीका के अख़बार 'केप आर्गूस' ने ख़बर छापी थी कि इस सौदे में ब्रिटिश एस्ले स्थित एक एजेंड को 13 फ़ीसदी कमीशन दिया गया. इस दौरान जॉर्ज फर्नाडिंस भारत के रक्षा मंत्री थे. समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार डेनेल के एक प्रवक्ता ने कहा है कि भारत को राइफ़ल आपूर्ति में भ्रष्टाचार के आरोपों पर कंपनी जल्द अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करेगी. रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी के अनुसार कंपनी ने ऐसी 300 राइफ़ल की आपूर्ति कर दी है और लगभग उतनी ही राइफ़ल की आपूर्ति पर रोक लगा दी गई है. इनकार तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने इसके लिए कांग्रेस और नेहरू-गाँधी पर निशाना साधा है और कहा है कि कांग्रेसवाद के विरोध के कारण उनको निशाना बनाया जा रहा है. फर्नांडिस कहना है कि यह सेनाओं को हतोत्साहित करने की साजिश है. रक्षा सौदों के मामले को लेकर मंगलवार को भी संसद के दोनों सदनों में भी हंगामा हुआ था और कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी. दरअसल सत्तारुढ़ यूपीए के घटक दलों, ख़ासकर कांग्रेस ने कारगिल के दौरान हुए रक्षा सौदों को लेकर जॉर्ज फ़र्नांडिस पर घोटाले के आरोप लगाए थे. इसको लेकर संसद में सत्तापक्ष और विपक्ष में खासी नौंकझोंक हुई थी. |
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