बुधवार, 09 फ़रवरी, 2005 को 17:26 GMT तक के समाचार
महबूब ख़ान
बीबीसी, लंदन
भारत प्रशासित कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने कहा है कि वह कश्मीर की यात्रा के बारे में यूरोपीय देशों की नकारात्मक सलाह को हटवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं.
ग़ौरतलब है कि अधिकतर यूरोपीय देशों ने अपने नागरिकों को कश्मीर नहीं जाने की सलाह दी हुई जिसकी वजह से बहुत से पर्यटक वहाँ जाने से घबराते हैं.
मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने लंदन में भारतीय उच्चायोग में बुधवार को एक पत्रकार सम्मेलन में भरोसा दिलाने की कोशिश की कि राज्य में हालात बेहतर हो रहे हैं और पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है.
इस बारे में मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने कहा कि वह ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय देशों की सरकारों से संपर्क साधकर उन्हें राज़ी करने की कोशिश कर रहे हैं कि "अपने नागरिकों को कश्मीर नहीं जाने की सलाह में कुछ बदलाव करें."
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें किसी देश से इस बारे में ठोस भरोसा मिला है, मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने कहा कि ब्रिटेन में कुछ सांसदों ने भरोसा दिलाया है कि वह प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर से इस बाबत बातचीत करेंगे.
कश्मीर समस्या के समाधान के बारे में मुफ़्ती सईद ने कहा, "मैं हालात को कोई हुक्म तो नहीं दे सकता लेकिन इतना कह सकता हूँ कि इस समस्या का हल धीरे-धीरे निकलेगा और लोगों की पसंद के मुताबिक निकलेगा."
"ग़ैरसरकारी स्तर पर कोशिशें चल रही हैं, दोनों तरफ़ के कश्मीर के लोग आपस में मिल-जुल रहे हैं जिससे लोगों के स्तर पर संपर्क बढ़ रहा है और इससे हालात में और बेहतरी की उम्मीद का जा सकती है."
उन्होंने अपनी सरकार की सफलताएँ गिनाते हुए कहा कि स्कूली शिक्षा बेहतर बनाई जा रही है जिसके लिए दस हज़ार अध्यापकों की भर्ती की जा रही है और चार नए विश्वविद्यालय और 15 कॉलेज खोले जा रहे हैं.
'आजकल' में
उससे पहले मुफ़्ती मोहम्मद सईद अपनी बेटी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्षा महबूबा मुफ़्ती के साथ बीबीसी हिंदी सेवा के 'आजकल' कार्यक्रम में भाग लेने के लिए स्टूडियो आए जहाँ उनसे विशेष बातचीत हुई.
मुफ़्ती सईद ने कहा कि श्रीनगर - मुज़फ़्फ़राबाद सड़क मार्ग बहाल होने से संबंधों का नया दौर शुरू हो सकता है.
मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने कहा कि हाल के वर्षों में राज्य में आर्थिक गतिविधियाँ तेज़ हुई हैं जिनका असर आम ज़िंदगी पर देखने को मिल रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में संपन्न शहरी निकायों के चुनाव में क़रीब 87 प्रतिशत लोगों ने हिस्सा लिया और इससे संकेत मिलता है कि लोग राज्य में अमन - चैन चाहते हैं.
महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि राज्य में अब भी मानवाधिकार उल्लंघन की हालत चिंताजनक है और वह इस मुद्दे को अपने पिता और मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद के सामने जब-तब उठाती भी रहती हैं.