बुधवार, 09 फ़रवरी, 2005 को 02:07 GMT तक के समाचार
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल फोन पर आने वाले अनचाहे कॉलों और संदेशों को रोकने के लिए केंद्र सरकार से क़ानून बनाने का अनुरोध किया है.
न्यायालय ने कहा कि वह चाहता है कि संसद में कोई ऐसा क़ानून पारित किया जाए जिससे मोबाइल फोन पर मार्केटिंग से जुड़े अनचाहे कॉल न आएँ क्योंकि इससे लोगों की निज़ी ज़िदगी में ख़लल पड़ता है.
दिल्ली के एक निवासी ने इस संबंध में अदालत में एक याचिका दायर की थी जिस पर न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है.
भारत मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करने वालों का बड़ा बाज़ार है और यहाँ क़रीब साढ़े नौ करोड़ लोग मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करते हैं.
निज़ी जीवन में दख़ल
न्यायालय ने अपने फैसले का नोटिस भारत सरकार, टेलीकॉम आपरेटरों और दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को भेज दिया है.
न्यायालय ने फ़ैसले की प्रति बहुराष्ट्रीय बैंकों को भी भेजी है क्योंकि अधिकतर मामलों में ये बैंक ही मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करने वालों को संपर्क करके क़र्ज़ और क्रेडिट कार्ड आदि सुविधाएं देने की बात करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने रॉयटर्स संवाद समिति से कहा, "यह एक महत्वपूर्ण मामला है जो दिखाता है कि किस तरह भारत सरकार और दूरसंचार नियामक प्राधिकरण मोबाइल इस्तेमाल करने वालों के निजी जीवन को सार्वजनिक बनने से रोकने में असफल रहा है."