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घर वापस भेजो: कश्मीरी चरमपंथी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में कई पूर्व चरमपंथी मुज़्ज़फ़राबाद की सड़कों पर उतर आए और उन्होंने अभूतपूर्व रोष प्रदर्शन किया है. उनकी माँग थी कि पाकिस्तान की सरकार उनको भारत प्रशासित कश्मीर में अपने घरों तक पहुँचाने के लिए कदम उठाए. ये पूर्व चरमपंथी भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा को पार कर 1988 से चल रहे अलगाववादी संघर्ष में भाग लेने के लिए भारत प्रशासित कश्मीर से पाकिस्तान में पहुँचे थे. ख़ुद को हक़ीक़ी फ़ोर्स कहने वाले एक संगठन ने इन पूर्व चरमपंथियों के प्रदर्शन का आयोजन किया था. उस संगठन का दावा है कि उसके लगभग 400 सदस्य हैं. उसके कई सदस्य तो अब अपने परिवारों और बीवी-बच्चों के साथ पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में ही रहते हैं. संगठन के अध्यक्ष सुहेल अहमद डार ने बीबीसी को बताया कि उनकी केवल एक माँग है कि कश्मीर में नियंत्रण रेखा के आर-पार लोगों की आवाजाही शुरु की जाए और उन्हें सुरक्षति अपने घरों तक पहुँचाया जाए.
ये भी माँग उठाई गई कि इन पूर्व चरमपंथियों के परिवारों की मदद के लिए उन्हें हर महीने कुछ पैसे दिए जाएँ. डार का कहना था, "हम यहाँ बैठकर तो अपने स्वतंत्रता संघर्ष में कोई योगदान नहीं दे सकते क्योंकि यहाँ तो हम अपनी ही वित्तीय समस्याओं से घिरे हुए हैं." उनका कहना था कि भारतीय प्रशासित कश्मीर में पहुँचकर भी वे स्वतंत्रता के लिए लड़ाई जारी रखेंगे. |
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