मंगलवार, 23 नवंबर, 2004 को 19:03 GMT तक के समाचार
अपने पति आसिफ़ ज़रदारी की रिहाई के बाद पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो ने मांग की है कि उन्हें स्वदेश लौटने दिया जाए.
भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए बेनज़ीर भुट्टो 1999 में ख़ुद ही देश छोड़कर चली गईं थी. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें लौटने की अनुमति दी जाए तो यह पाकिस्तान के लिए अच्छा होगा.
भ्रष्टाचार और हत्या की साज़िश रचने के मामले में आठ साल तक जेल में रहने के बाद बेनज़ीर के पति आसिफ़ ज़रदारी को सोमवार को ज़मानत मिल गई थी जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया था.
बेनज़ीर कभी लंदन तो कभी संयुक्त अरब अमीरात में रहतीं हैं. उनके तीन बच्चे भी हैं. मंगलवार को बेनज़ीर ने कहा, "मैं वापस पाकिस्तान जाना चाहती हूँ. मेरे बच्चे अपने पिता को देखना चाहते हैं. मैं सोचती हूँ कि देश से बाहर रह रहे सभी नेताओं को अपने देश लौटने का पूरा अधिकार है. यह पाकिस्तान के लिए अच्छा रहेगा."
अपनी रिहाई के बाद बीबीसी वर्ल्ड टुडे कार्यक्रम के साथ बातचीत में ज़रदारी ने उम्मीद जताई थी कि उनकी पत्नी बेनज़ीर पाकिस्तान लौटेंगी.
ज़रदारी ने कहा, "मुझे पाकिस्तान छोड़कर नहीं जाना है. मुझे उम्मीद है कि बेनज़ीर यहाँ आएँगी. मैं उनका यहाँ आने तक इंतज़ार करुँगा."
सुलह-सफ़ाई
इस्लामाबाद स्थित बीबीसी संवाददाता पॉल एंडरसन का कहना है कि ज़रदारी और उनकी पत्नी बेनज़ीर भुट्टो के ख़िलाफ़ मामले ख़त्म नहीं हुए हैं लेकिन सरकार और ज़रदारी की ओर से सुलह-सफ़ाई वाले बयान दिए जा रहे हैं.
इसी कोशिश के तहत पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने देश निकाला झेल रहे पाकिस्तान के एक अन्य पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को सऊदी अरब फ़ोन करके उनके पिता के निधन पर शोक व्यक्त किया.
1999 में सेना ने नवाज़ शरीफ़ का तख़्तापलट किया था.
पाकिस्तान की सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमल-क्यू) के नेता सैयद मुशाहिद हुसैन ने मुशर्रफ़ के फ़ोन कॉल के बारे में बताया, "राजनीतिक मतभेद को निजी दुश्मनी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और यही राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने प्रदर्शित किया है."
उधर पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो ने इस बात से इनकार किया है कि ज़रदारी की रिहाई को लेकर सरकार से कोई समझौता हुआ है.
लेकिन उन्होंने माना कि उनकी अगुआई वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और प्रशासन के बीच बातचीत होती रहती है.
बेनज़ीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रह चुकीं हैं. 1990 और फिर 1996 में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण उनकी सरकार बर्ख़ास्त कर दी गई थी.