BBCHindi.com
अँग्रेज़ी- दक्षिण एशिया
उर्दू
बंगाली
नेपाली
तमिल
 
शनिवार, 09 अक्तूबर, 2004 को 16:30 GMT तक के समाचार
 
मित्र को भेजें कहानी छापें
अब मियाँ-बीवी के हक़ निकाहनामे में
 
मुस्लिम महिलाएँ
भारत में तलाक़शुदा मुस्लिम महिलाओं के गुज़ारा भत्ते का मुद्दा काफ़ी गरम रहा है
भारतीय मुस्लिम पर्सलन लॉ बोर्ड ने मुसलमानों में मियाँ-बीवी के बीच होने वाले झगड़ों को रोकने के इरादे से पहली बार एक ऐसा निकाहनामा तैयार किया है जिसमें दोनों के अधिकार और ज़िम्मेदारियाँ तय होंगी.

इस निकाहनामे के मसौदे को लखनऊ में शनिवार को बोर्ड की एक बैठक में अंतिम रूप दिया गया.

इस बैठक की अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी ने की.

बोर्ड के सचिव मौलाना अब्दुल रहीम कुरैशी ने बीबीसी को बताया कि इस निकाहनामे को बोर्ड की दिसंबर में कालीकट में होने वाली वार्षिक बैठक में मंज़ूरी दी जाएगी.

भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश में मुसलमानों की प्रतिनिधि संस्था है और मुस्लिम पर्सनल क़ानून और शरीयत के मामलों में वही सर्वोच्च संस्था है.

कुरैशी ने बताया कि यह पहला मौक़ा है कि मुसलमानों के लिए एक आदर्श निकाहनामा तैयार किया जा रहा है.

कुरैशी के अनुसार इस निकाहनामे में मियाँ-बीवी दोनों की तरफ़ से कुछ घोषणाएँ होंगी और दोनों के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों का भी बहुत साफ़ तरीक़े से ज़िक्र होगा.

कुरैशी बताते हैं कि अगर मियाँ-बीवी के बीच कोई झगड़ा हो जाता है तो उसे कैसे सुलझाया जाए, इसका भी तरीक़ा इस आदर्श निकाहनामे में बताया जाएगा.

दोनों बाध्य होंगे

मुसलमानों में निकाह के ज़रिए शादी, तलाक़ और औरतों के गुज़ारा भत्ते को लेकर हाल के वर्षों में काफ़ी चर्चा हुई है क्योंकि ऐसे बहुत से मामले अदालतों तक पहुँचे हैं.

अब समझा जा रहा है कि आदर्श निकाहनामे से तलाक़ पर उठे विवादों में कुछ कमी आएगी.

मुस्लिम महिला
शादी कभी-कभी तलाक़ तक पहुँच जाती है

इस वक़्त व्यवस्था ये है कि कोई मुस्लिम पति अगर अपनी पत्नी को एक ही वक़्त पर तीन बार तलाक़ कह दे तो तलाक़ मान ली जाती है यानी कि उनकी शादी समाप्त हो जाती है.

लेकिन अब संवाददाताओं का कहना है कि अगर दोनों पक्षों यानी मियाँ-बीवी की तरफ़ से कोई लिखित अनुबंध होगा तो तीन बार तलाक़ कहकर शादी तोड़ना आसान नहीं होगा.

नए निकाहनामे पर मियाँ-बीवी दोनों ही दो गवाहों की मौजूदगी में दस्तख़त करेंगे और उस हस्ताक्षरित निकाहनामे को कोई क़ाज़ी मंज़ूरी देगा.

कुरैशी ने बताया कि बोर्ड ने भारत के मुस्लिम समाज में दहेज जैसी कुरीतियों को दूर करने और शरीयत के बारे में जागरूकता फैलाने लिए एक अभियान भी चलाने का फ़ैसला किया है.

कुरैशी का कहना था कि बोर्ड बहुत सी राज्य सरकारों को भी इस बात के लिए राज़ी करेगा कि वे बेटियों को शरीयत के मुताबिक़ अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा देने के लिए अपने संपदा क़ानूनों में संशोधन करें.

 
 
इंटरनेट लिंक्स
 
बीबीसी बाहरी वेबसाइट की विषय सामग्री के लिए ज़िम्मेदार नहीं है.
 
सुर्ख़ियो में
 
 
मित्र को भेजें कहानी छापें
 
  मौसम |हम कौन हैं | हमारा पता | गोपनीयता | मदद चाहिए
 
BBC Copyright Logo ^^ वापस ऊपर चलें
 
  पहला पन्ना | भारत और पड़ोस | खेल की दुनिया | मनोरंजन एक्सप्रेस | आपकी राय | कुछ और जानिए
 
  BBC News >> | BBC Sport >> | BBC Weather >> | BBC World Service >> | BBC Languages >>