बुधवार, 08 सितंबर, 2004 को 20:55 GMT तक के समाचार
भारत में मुसलमानों की आबादी तेज़ी से बढ़ने संबंधी आँकड़ों को लेकर विवाद शुरू होने के बाद सरकार ने जनगणना के निष्कर्षों पर 'पुनर्विचार' करने का फ़ैसला किया है.
सरकार ने जनगणना के आँकड़ों में जम्मू कश्मीर के आँकड़े भी जोड़ने का निर्णय किया गया है, 2001 में जम्मू कश्मीर में जनगणना का काम पूरा नहीं हो सका था.
भारत के डिप्टी रजिस्ट्रार जनरल आरजी मित्रा ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा है, "इस रिपोर्ट में आँकड़ों के अलावा कुछ टिप्पणियाँ और बयान हैं, आँकड़े तो ठीक हैं लेकिन मुसलमान आबादी को लेकर की गई टिप्पणियों पर कुछ विवाद है. "
मित्रा ने कहा, "हम इन टिप्पणियों पर दोबारा ग़ौर कर रहे हैं."
उन्होंने बताया कि जनगणना आयोग मुसलमानों की आबादी बढ़ने के बारे में की गई टिप्पणी के साथ उसे संतुलित करने के लिए कुछ और वाक्य जोड़ने पर विचार किया जा रहा है ताकि सही परिप्रेक्ष्य सामने आ सके.
ताज़ा रिपोर्ट गुरूवार से जनता के लिए उपलब्ध होने वाली है और माना जा रहा है कि उसमें नए वाक्य जोड़े जा सकते हैं.
मित्रा ने कहा, "आँकड़े पूरी तरह सही हैं, उन्हें बदलने या वापस लेने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता."
विवाद
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने बंगलौर में यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि मुसलमानों की तेज़ी से बढ़ती आबादी भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए गंभीर चिंता का कारण है.
इसके बाद इस बात पर विवाद तेज़ हो गया था कि क्या धर्म के आधार पर अलग-अलग समुदायों के आँकड़ों का विश्लेषण ठीक है.
वर्ष 2001 की जनगणना के आँकड़ों के मुताबिक़ मुसलमानों की आबादी में बढ़ोत्तरी की दर लगभग 36 प्रतिशत है जबकि हिंदुओं की आबादी 20 प्रतिशत की दर से बढ़ी है.
जनसंख्या से जुड़े मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला इतना सरल नहीं है जितना दिखता है, इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, जागरूकता और आर्थिक स्तर जैसे पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाना ज़रूरी है.