मंगलवार, 07 सितंबर, 2004 को 13:51 GMT तक के समाचार
भारत के प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि 2001 में हुई जनगणना से प्राप्त आँकड़े गंभीर चिंता का विषय हैं.
जनगणना में पाया गया कि 1991 के मुक़ाबले 2001 में जहाँ मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं हिंदुओं की जनसंख्या 20.3 प्रतिशत बढ़ी है.
वर्ष 1991 में, उससे पहले के दशक के मुक़ाबले, मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या 34 प्रतिशत बढ़ी थी और हिंदुओं की आबादी 25.1 प्रतिशत बढ़ी थी.
हिंदू समुदाय की संख्या भारत में लगभग 80 प्रतिशत है और मुसलमानों की जनसंख्या 13.4 प्रतिशत है.
भाजपा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने आरोप लगाया,"मुसलमानों की जनसंख्या में वृद्धि और बांग्लादेशियों का लगातार भारत में आना भारत की एकता और अखंडता के लिए गंभीर ख़तरा है."
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड का कहना है कि जनगणना में धर्म के बारे एकत्र की गई जानकारी का राजनीतिक पहलू भी है, क्योंकि महाराष्ट्र और अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं.
दूसरी ओर, जनगणना आयोग का कहना है कि इससे विभिन्न धर्मों के लोगों को पता चलेगा कि वे किस दिशा में जा रहे हैं और आगे क्या रणनीति बनाई जानी चाहिए.
स्त्री-पुरूष अनुपात
जनगणना के आँकड़ों के अनुसार जैन समुदाय की संख्या में वृद्धि की दर तो 4.6 प्रतिशत से 26 प्रतिशत बढ़ी है और साथ ही साक्षरता दर भी 94.1 प्रतिशत बढ़ी है.
ये भी पाया गया कि सिख, बौद्ध और हिंदू समुदायों की जनसंख्या में वृद्धि की दर काफ़ी घटी है.
सिखों में पुरुष-महिला अनुपात 1000 पुरुषों पर 893 महिलाओं का है, जबकि ईसाइयों में ये 1000 पुरुषों पर 1009 महिलाओं का है.
जहाँ जैन समुदाय 94.1 साक्षर है वहीं ईसाई समुदाय 80.3 प्रतिशत साक्षर है.
हिंदू और मुस्लिम समुदायों में महिला साक्षरता 53.7 प्रतिशत की राष्ट्रीय औसत से कम है.
रिपोर्ट के अनुसार भारत में पारसी समुदाय की संख्या घट रही है और दस साल पहले 76,382 के मुकाबले में सन 2001 में ये 69,601 हो गई.