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'चुनाव पर क़बायली नेताओं का साया' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अमरीका की मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनावों को क़बायली नेताओं से उतना ही ख़तरा है जितना तालेबान से. अफ़ग़ानिस्तान में नौ अक्तूबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है और अंतरिम राष्ट्रपति हामिद करज़ई भी इस चुनाव में उम्मीदवार हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच ने 51 पन्ने की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चुनाव डर और दबाव के माहौल में होंगे अमरीका की कड़ी आलोचना करते हुए ये कहा गया है कि अमरीका क्षेत्रीय क़बायली कमाडरों का 'आतंकवाद के ख़िलाफ़' लड़ाई में सहयोग ले रहा है. लेकिन इस मानावाधिकार संस्था का कहना है कि ये क़बायली नेता बड़े पैमाने पर लोगों को डरा धमका रहे हैं जिससे चुनाव के नतीजे पर असर पड़ सकता है. अमरीका पर ये भी आरोप लगाया गया है कि उसने इन क़बायली नेताओं को निशस्त्र करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए. ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के अनुसार कई इलाक़ो में तो पत्रकार क़बायली नेताओं के डर से ख़ुद ही ऐसी रिपोर्ट छापते हैं जिससे उनको ही निशाना न बनाया जाए. अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका के राजदूत ज़िलमय ख़लीलज़द मानते हैं कि ये एक प्रमुख मुद्दा है और क़बायली नेताओं की ताकत घटाने के लिए उपाए किए जा रहा हैं. |
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