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गुरुवार, 12 अगस्त, 2004 को 13:26 GMT तक के समाचार

शायद फिर दिख सकेगा चाँदनी में ताज

'इक शंहशाह ने दौलत का सहारा ले कर,
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़,
मेरे महबूब कहीं और मिला कर मुझसे'

अब से कई बरस पहले साहिर लुधियानवी ने कुछ इन शब्दों में ताजमहल को प्रेम का नहीं बल्कि एक बादशाह की दौलत का प्रतीक बना डाला था.

हालाँकि ताजमहल सदियों से मोहब्बत करने वालों के लिए एक ऐसा तीर्थस्थल रहा है जहाँ जा कर उन्हें प्रेम के नए मायने समझ में आ जाते हैं.

बल्कि शकील बदायूँनी के शब्दों में कहें तो-

'इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है'

और अब से बीस बरस पहले जब यह ऐलान हुआ कि ताजमहल अब जनता के लिए अब सिर्फ़ दिन में ही खुलेगा और रात में नहीं तो लोगों को भारी मायूसी हुई.

चाँदनी रात में ताज की छटा देखते ही बनती थी और उस वक़्त प्रेमी युगल का एक हुजूम ताज परिसर में मौजूद रहता था.

सरकार का कहना था कि उसने यह फ़ैसला ताज को चरमपंथियों के ख़ौफ़ से बचाने के लिए किया है.

लेकिन अब आशा की एक किरण जागी है क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ताज को फिर रातों में खुला रखने पर विचार कर रही है.

वरिष्ठ पर्यटन अधिकारी आलोक सिन्हा कहते हैं, "हमारा प्रस्ताव है कि ताजमहल को पाँच रातों में खुला रखा जाए. एक पूर्णिमा की रात और दो रातें उससे पहले और बाद".

रोज़ रात को ताज को खुला रखने का इरादा नहीं है क्योंकि उसके लिए बड़ी-बड़ी फ़्लड लाइट का इंतज़ाम करना पड़ेगा.

आलोक सिन्हा का कहना है कि ये क़दम इसलिए नहीं उठाया जा सकता क्योंकि कृत्रिम बिजली इस अनमोल और यादगार स्मारक को नुक़सान पहुँचा सकती है.

मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने ताजमहल अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनाया था और लोगों का मानना है कि यह उनके प्रेम की निशानी है.

इसका निर्माण 1631 में शुरू हुआ और बीस हज़ार लोगों की मेहनत से यह 1653 में बन कर तैयार हुआ था.