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पाँच लोग अपनी-अपनी ज़मीन पर लौटे | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत और पाकिस्तान ने दोस्ती की दिशा में एक और क़दम बढ़ाते हुए एक दूसरे के कुछ उन युद्धबंदियों को रिहा किया है जिन्हें करगिल युद्ध के दौरान बंदी बनाया गया था. पाकिस्तान की रावलपिंडी जेल में पाँच वर्ष बिताने और लंबे समय तक भगोड़ा होने की दर्दनाक तोहमत उठाने के बाद दो भारतीय सैनिक लाँस नायक जगसीर सिंह और सिपाही मोहम्मद आरिफ़ अपने देश वापस लौट आए हैं. वाघा सीमा पार करके ये दोनों सैनिक भारत पहुँचे. वहाँ इन दोनों के परिवार वालों के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. वाघा सीमा पर सेना की 15वीं डिवीज़न के कमांडर ने इन सैनिकों का स्वागत किया. भारत की सीमा में दाख़िल होने के बाद मोहम्मद आरिफ़ ने कहा, "मैं बहुत ख़ुश हूँ कि मैं ज़िंदा अपने वतन वापस आ गया. एक समय तो ऐसा लगा था कि मैं वापस नहीं आ पाऊँगा." लाँस नायक जगसीर सिंह ने कहा कि पाकिस्तानी हिरासत में उनके साथ अच्छा व्यवहार किया गया लेकिन उन्होंने भी यह कहा कि उन्हें अपनी रिहाई की उम्मीद नहीं थी. उनके बदले में भारत ने भी तीन पाकिस्तानी नागरिकों नवाब दीप, रशीद महनाज़ और मोहम्मद इरफ़ान ख़ान और एक सैनिक सलीम अली शाह को रिहा किया गया. वाघा सीमा पर एक आव्रजन अधिकारी ने बताया कि तीन पाकिस्तानी नागरिक शायद ग़लती से भारतीय सीमा में पहुँच गए थे. पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंपे जाने से पहले पाकिस्तानी सैनिक सलीम अली ने कहा, "मेरे साथ भारत में अच्छा व्यवहार हुआ. लेकिन मैं दोनों सरकारों से अपील करना चाहूँगा कि वे दोनों देशों के सभी बंदियों को रिहा कर दें." जगसीर सिंह के गाँव कोटभाई में जश्न का माहौल है जबकि उनके परिवार के सदस्य भारतीय सेना के अधिकारियों के साथ वाघा सीमा पर मौजूद थे.
ये दोनों सैनिक 1999 में करगिल की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी सेना की गिरफ़्त में आ गए थे और लंबे समय तक इनका पता नहीं चलने के बाद सेना ने इन्हें ग़लती से भगोड़ा घोषित कर दिया था. लगभग तीन सप्ताह पहले अचानक लाँस नायक जगसीर सिंह का पत्र आया जिसमें उन्होंने बताया कि वह और मोहम्मद आरिफ़ पाकिस्तान की जेल में बंद है, इसके बाद भारतीय सेना ने अपनी ग़लती सुधारते हुए उन्हें उनके पद पर बहाल कर दिया. तकलीफ़ पंजाब के कोटभाई गाँव में जगसीर सिंह के परिवार को उपहास और सरकारी प्रताड़ना का शिकार बनना पड़ा. स्थानीय पुलिस ने लांस नायक के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ मुक़दमा दर्ज किया बल्कि उनके बूढ़े माँ-बाप और भाई से अनगिनत बार कड़ी पूछताछ की. पंजाब ऐसा राज्य है जहाँ सेना में जाकर बहादुरी दिखाने को बहुत ही गर्व की बात समझा जाता है, वहाँ जगसीर सिंह के परिवार को उपहास और शर्मिंदगी का पात्र बनना पड़ा. इस सदमे के कारण ही जगसीर सिंह के पिता गुरूदेव सिंह चल बसे, उनकी पत्नी जसविंदर कौर अपने नवजात शिशु को छोड़कर मायके चली गईं थीं. जगसीर सिंह की रिहाई की ख़बर से ज़ाहिर है कि उनके परिवार में काफ़ी ख़ुशी है और वे शायद इसे एक भयानक सपना समझकर भूल जाना चाहेंगे. |
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