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एक भारतीय सैनिक की दुखभरी कहानी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
पाँच वर्ष पूर्व करगिल युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए पंजाब के एक भारतीय सैनिक अब वापस लौट आए हैं लेकिन इन पाँच सालों में उनके परिवार को बहुत संताप झेलना पड़ा है. लांस नायक जगसीर सिंह को पाकिस्तानी सैनिकों ने पकड़कर जेल में बंद कर दिया था. इस सैनिक के परिवार की कहानी काफ़ी दुख भरी है क्योंकि उन्होंने न सिर्फ़ लांस नायक के ग़ायब होने का दुख उठाना पड़ा बल्कि उनके ऊपर भगोड़ा होने का कलंक भी लग गया. लांस नायक सिंह के रेजीमेंट ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था और इस पत्र के मिलने से पहले तक यही समझा जा रहा था कि वे लड़ाई छोड़कर भाग खड़े हुए थे. भारतीय कश्मीर के करगिल सेक्टर में बारूदी सुरंग हटाने के काम में लगे 108वीं इंजीनियर्स रेजीमेंट लांस नायक सिंह को 17 सितंबर 1999 को पाकिस्तानी सैनिकों ने बंदी बना लिया था. लांस नायक सिंह के साथ पाकिस्तानी सेना ने एक और भारतीय सैनिक मोहम्मद आरिफ़ को भी बंदी बना लिया था लेकिन इसकी कोई सूचना भारत सरकार को नहीं मिली थी और रेजीमेंट ने मान लिया कि ये दोनों सैनिक मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए हैं. तकलीफ़ पंजाब के कोटभाई गाँव में जगसीर सिंह के परिवार को उपहास और सरकारी प्रताड़ना का शिकार बनना पड़ा. स्थानीय पुलिस ने लांस नायक के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ मुक़दमा दर्ज किया बल्कि उनके बूढ़े माँ-बाप और भाई से अनगिनत बार कड़ी पूछताछ की. पंजाब ऐसा राज्य है जहाँ सेना में जाकर बहादुरी दिखाने को बहुत ही गर्व की बात समझा जाता है, वहाँ जगसीर सिंह के परिवार को उपहास और शर्मिंदगी का पात्र बनना पड़ा. इस सदमे के कारण ही जगसीर सिंह के पिता गुरूदेव सिंह चल बसे, उनकी पत्नी जसविंदर कौर अपने नवजात शिशु को छोड़कर अपने मायके चली गईं. पाँच वर्ष के बाद अचानक जून महीने में लांस नायक की विधवा माँ छोटो कौर के पास बेटे की जेल से लिखी चिट्ठी पहुँची तो असलियत का पता चला. छोटो कौर कहती हैं, "वाहे गुरू ने मेरी पुकार सुन ली, उसने मुझे माफ़ कर दिया." लांस नायक ने इस चिट्ठी में अपने पकड़े जाने का विस्तृत ब्यौरा देते हुए बताया था कि उन्हें और मोहम्मद आरिफ़ को रावलपिंडी की एक जेल में रखा गया है. इस चिट्ठी के मिलने के बाद भारतीय सेना ने दोनों सैनिकों का दर्जा बदलकर उन्हें युद्धबंदी घोषित किया है. |
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