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ताज मामले में मायावती को नोटिस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आगरा में ताजमहल गलियारा मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी नेता मायावती और दो अधिकारियों को नोटिस जारी किया है. मायावती और इन अधिकारियों को इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से अग्रिम ज़मानत हासिल है जिसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी कि उनकी अग्रिम ज़मानत क्यों न रद्द की जाए. अब सर्वोच्च न्यायालय ने मायावती और उत्तर प्रदेश सरकार के दो अधिकारियों - प्रधान सचिव पीएल पूनिया और पूर्व पर्यावरण सचिव वीके गुप्ता को नोटिस जारी किया है कि क्यों ना उनकी अग्रिम ज़मानत रद्द कर दी जाए. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर पिछले साल 18 सितंबर को केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने 175 करोड़ रुपए के निर्माण लागत वाले इस मामले में कथित अनियमितताओं का मामला दर्ज किया था. आगरा में विभिन्न ऐतिहासिक इमारतों को आपस में जोड़ने के लिए एक बड़ा गलियारा बनाने का प्रस्ताव था और इन इमारतों में ताजमहल और आगरे का क़िला भी शामिल थे. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में रिपोर्ट को रद्द करते हुए मायावती और दो अधिकारियों को अग्रिम ज़मानत दे दी थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. इस बीच केंद्रीय जाँच ब्यूरो ने करोड़ों रुपए के ताज गलियारा निर्माण मामले की जाँच की अंतरिम रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में दाख़िल कर दी है और न्यायालय ने अंतिम रिपोर्ट सौंपने के लिए सीबीआई को तीन महीने का समय दिया है. |
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