| अब्बास अंसारी ने अध्यक्ष पद छोड़ा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मौलवी अब्बास अंसारी ने भारतीय कश्मीर में अलगाववादी दलों के गठबंधन हुर्रियत काँफ़्रेंस का अध्यक्ष पद छोड़ दिया है. ऐसा उन्होंने हुर्रियत को एक करने के लिए किया है. मौलवी अब्बास अंसारी ने मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त करने की भी घोषणा की. मतभेद के कारण जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ़्रंट (जेकेएलएफ़), जमात-ए-इस्लामी और पीपुल्स लीग हुर्रियत से अलग हो गए हैं. मौलवी अब्बास अंसारी का अध्यक्ष पद छोड़ने का फ़ैसला हुर्रियत में इन पार्टियों को फिर वापस लाने की कोशिश के तहत किया गया है. श्रीनगर में बुधवार को हुर्रियत काँफ़्रेंस की कार्यकारी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक हुई. शांति वार्ता की दिशा क़रीब डेढ़ घंटे चली इस बैठक में भारत सरकार के साथ बातचीत के बारे में चर्चा हुई. वैसे हुर्रियत नेताओं पर कश्मीर के संदिग्ध चरमपंथियों की ओर से भी यह दबाव पड़ रहा था कि वे भारत सरकार के साथ बातचीत से अलग हो जाएँ.
हाल में ही वरिष्ठ हुर्रियत नेता उमर फ़ारूक़ और और उनके कुछ रिश्तेदारों पर चरमपंथियों ने हमले किए थे. बैठक के बाद किसी भी हुर्रियत नेता ने पत्रकारों के साथ बातचीत नहीं की. हालाँकि हुर्रियत के एक प्रवक्ता ने बैठक के बाद बयान पढ़कर सुनाया. बयान में कहा गया, "कश्मीर समस्या का हल सिर्फ़ सार्थक बातचीत से ही निकल सकता है. हुर्रियत काँफ़्रेंस अपना यह पक्ष दोहराता है कि वह भारत और पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत की प्रक्रिया जारी रखेगा ताकि कश्मीर मसले का सर्वमान्य, सम्मानजनक और स्थायी हल निकल सके." हुर्रियत के प्रवक्ता ग़ुलाम हसन मजरूह ने बीबीसी को बताया कि सरकार के साथ दूसरे दौर की बातचीत इस पर निर्भर करती है कि नई केंद्र सरकार पिछली सरकार के वादे को पूरा करती है या नहीं. उन्होंने पिछली सरकार के दौरान राज्य में मानवाधिकार हनन रोकने की बात का ख़ास तौर पर ज़िक्र किया. |
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