| एचआईवी ग्रस्त पुलिसकर्मियों से भेदभाव की समस्या | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
मुंबई में पुलिस ने घोषणा की है कि एचआईवी से ग्रस्त पाए जाने वाले कर्मचारियों के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा. यह पहली बार हुआ है कि भारत में किसी सरकार विभाग या संस्था ने ऐसा निर्णय लिया है. यह घोषणा ऐसे समय पर की गई है जब मुंबई के पुलिस बल में एचआईवी से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ने के और इन लोगों के साथ भेदभाव किए जाने के समाचार आ रहे हैं. मुंबई के चालीस हज़ार पुलिसकर्मियों के बल में जब हाल में 150 कर्मचारियों पर टेस्ट किया गया तो ये पाया गया कि लगभग दस प्रतिशत एचआईवी से ग्रस्त थे. इस साल इससे पहले लगभग 450 पुलिस वाले एचआईवी से ग्रस्त पाए गए थे. ऐसी जानकारी मिलते ही उनके अपने सहकर्मियों ने उनके साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाना शुरु कर दिया. मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी प्रेम कृष्ण जैन का कहना था कि पुलिस ने एचआईवी से ग्रस्त कर्मचारियों की मदद के लिए एक कार्यक्रम शुरु करने का फ़ैसला किया है और सब कर्मचारियों के लिए एक एड्स जागरूकता कार्यक्रम शुरु किया जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि पुलिस उन लोगों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगी जो नौकरी के लिए आवेदन देंगे. उधर विश्व बैंक ने भारत सहित दक्षिण एशिया के अन्य देशों पर आरोप लगाया है कि वे एड्स की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे और इसका निवारण करने में गंभीर नहीं हैं. |
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