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भारत की 'हाँ' पर पाकिस्तान की 'ना' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत के रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर काँटेदार बाड़ बनाने के लिए पाकिस्तान की मौन सहमति है. लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मसूद ख़ान ने इसका खंडन करते हुए कहा है कि पाकिस्तान की ऐसी कोई मौन सहमति भारत को नहीं है. मसूद ख़ान ने कहा है कि पाकिस्तान ने सीमा पर काँटेदार बाड़ बनाने पर कई बार भारत के साथ आपत्ति दर्ज कराई है. "हमारी कोई गुपचुप या मौन सहमति नहीं है. बल्कि हमने तो कई बार भारत से इस पर आपत्ति दर्ज कराई है और संयुक्त राष्ट्र को भी सूचित किया है." मसूद ख़ान ने बीबीसी से कहा कि पाकिस्तान ने भारत को बता दिया है कि यह काँटेदार बाड़ 1949 के कराची समझौते और शिमला समझौते का उल्लंघन है. मसूद ख़ान ने कहा कि ऐसे माहौल में जब दोनों देश संबंध सुधारने के लिए आगे बढ़ रहे हैं तो भारत को ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए. बाड़ का विवाद भारत कश्मीर को विभाजित करने वाली नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर काँटेदार बाड़ लगा रहा है और इसके पीछे उसकी दलील है कि इससे सीमा पार से चरमपंथियों की घुसपैठ पर कुछ रोक लग सकेगी.
भारतीय रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी ने श्रीनगर में बुधवार को पत्रकार सम्मेलन में कहा कि सीमा पर काँटेदार बाड़ बनाने का काम लगभग पूरा हो गया है. उन्होंने कहा कि बाड़ लगाने के काम में पाकिस्तान के साथ पिछले साल सीमा पर युद्ध विराम लागू होने के बाद तेज़ किया गया था. काँटेदार बाड़ लगाने के काम को पाकिस्तान की मौन सहमति के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में प्रणब मुखर्जी ने कहा, "बिल्कुल, युद्धविराम लागू होना सकारात्मक रूप से आगे बढ़ना है." "बातचीत का फिर से शुरू होना इस बात का संकेत है कि दोनों देश सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं." बीबीसी के कश्मीर संवाददाता का कहना है कि काँटेदार बाड़ लगाने के इस काम में बाधा पहुँचाने के लिए पाकिस्तानी सैनिक अक्सर गोलीबारी करते रहे हैं लेकिन युद्ध विराम लागू होने के बाद से ऐसी कोई गोलीबारी देखने में नहीं आई है. |
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