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'कृषि और रोज़गार हमारी प्राथमिकता हैं' | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भारत के उद्योग और वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने कहा है कि सरकार की प्राथमिकता देश के किसान हैं. संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन यानी अंकटाड की बैठक में भाग लेने के बाद लंदन पहुँचे कमलनाथ ने बीबीसी से एक विशेष बातचीत में कहा कि उनकी सरकार देश के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है. कमलनाथ ने बताया कि "हमने कोशिश की है कि हमारी कृषि और कृषक सुरक्षित रहें, उन्हें अपने उत्पाद की लगातार बढ़ती हुई क़ीमत मिले." विकसित देशों के किसानों को मिलने वाली सब्सिडी और भारत जैसे देशों में सब्सिडी की कटौती का दबाव एक अहम मुद्दा रहा है, कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे का ध्यान रखा है. उन्होंने कहा, "विकसित देश किसानों की मदद करते हैं लेकिन हमारे ऊपर दबाव रहता है कि हम कटौती करें, हमने पूरा प्रयास किया है कि किसानों के हित सुरक्षित रहें." एनडीए सरकार आर्थिक सुधारों की बात ज़ोर-शोर से कर रही थी लेकिन उसके चुनाव हारने के बाद क्या सुधारों की गति उसी तरह से चल पाएगी, यह सवाल उठने लगा है. कमलनाथ से जब पूछा गया कि मनमोहन सिंह आर्थिक सुधारों के प्रणेता रहे हैं फिर भी उनकी सरकार आर्थिक सुधारों की बात वज़न के साथ क्यों नहीं कर रही. इसके जवाब में उन्होंने कहा, "हम बिल्कुल सुधार की बात कर रहे हैं, हम ग्रामीण क्षेत्र, आधारभूत ढाँचे और रोज़गार के अवसर पैदा करने वाले काम करना चाहते हैं, वही हमारी प्राथमिकता है." कमलनाथ ने दावा किया कि सरकार आर्थिक सुधार और सामाजिक दायित्वों के बीच पूरा तालमेल क़ायम करने में कामयाब होगी, उन्होंने मानवीय चेहरे के साथ आर्थिक सुधार की बात दोहराई. एक सवाल के जवाब में उन्होंने पिछली सरकार की नीतियों को ग़लत कहने से बचते हुए इतना कहा कि उनकी प्राथमिकता रोज़गार और कृषि है. उन्होंने इन आशंकाओं को ग़लत बताया कि आर्थिक सुधार की गति कम होगी या उस पर असर पड़ेगा, उन्होंने कहा, "हम आर्थिक नीतियों को उस दिशा में ले जाएँगे जिसमें सबको फ़ायदा हो, किसी एक वर्ग की बात हम नहीं करेंगे." |
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